रूबिया सईद अपहरण कांड ।
कश्मीर के मुफ्ती मुहम्मद सईद अपने लिए जमीन तलाश रहे थे । वे कभी कांग्रेस कभी नेशनल कांफ्रेंस में आ जा रहे थे । बाद में उन्होंने अपनी एक अलग पार्टी बना ली - पी डी पी । उस दौर में विश्वनाथ प्रताप सिंह की राजनीति अपने शबाब पर थी । उस समय राजीव गांधी की पार्टी वांछित बहुमत हासिल नहीं कर पायी थी । इसलिए सबसे बड़ी बहुमत हासिल करने वाली पार्टी के नेता होते हुए भी उन्होंने सरकार बनाने से मना कर दिया । विश्वनाथ प्रताप सिंह की पार्टी जनता दल ने सरकार बनाया । उस सरकार में पी डी पी नेता मुफ्ती मुहम्मद सईद को गृह मंत्री बनाया गया । गृह मंत्री बनते ही मुफ्ती मुहम्मद सईद को वह जमीन मिल गयी , जिसकी उन्हें दरकार थी । सबसे पहले उन्होंने कश्मीर में अपना मनपसंद गवर्नर जगमोहन को बनाया । फारूख अब्दुल्ला को इस्तीफा देना पड़ा । बाद में राॅ के रिटायर्ड निदेशक गैरी सक्सेना को राज्यपाल बनाया गया।
8 दिसम्बर 1989 को मुफ्ती मुहम्मद सईद की बेटी रूबिया सईद का अपहरण हो गया । रूबिया सईद ललदद हाॅस्पिटल में डाक्टर थीं । वे अपनी ड्यूटी पूरी होने के उपरांत घर जाने के लिए सिविल बस में सवार होती हैं । ( एक गृह मंत्री की बेटी सिविल बस में सफर करे, यह आश्चर्य की बात है !) । उसी बस में कुछ आतंकवादी भी चढ़ते हैं । फिर रूबिया का अपहरण हो जाता है । इस प्रकरण के दो घंटे बाद जे के एल एफ ने इस अपहरण की जिम्मेदारी लेता है । वह बदले में अपने सात साथियों को छुड़ाने की बात करता है । फिर नेगोशिएस्न्स का दौर चलता है । बात पांच आतंकवादियों को छोड़ने पर जम जाती है । अपहरण के पाँच दिन बाद यानी कि 13 दिसम्बर 1989 को रूबिया सईद को छोड़ दिया जाता है । पांचों आतंकवादी भी रिहा कर दिए जाते हैं । स्पेशल फ्लाइट से रूबिया को दिल्ली लाया जाता है ।मुफ्ती मुहम्मद सईद बयान देते हैं - " एक पिता के रुप में मैं बहुत खुश हूँ , पर एक राजनेता के रुप में मैं कहता हूँ कि ऐसा नहीं होना चाहिए था "।
आतंकवादियों को रिहा करते समय जे के एल एफ ने वादा किया था कि कोई जुलूस , आतिशबाजी या प्रदर्शन नहीं किया जाएगा , लेकिन यह वादा टूटा और बुरी तरह से टूटा । पूरी घाटी में रात भर जश्न मनाया गया । खुशियाँ मनायी गयी । भारत सरकार के इस असफलता को खूब जोर शोर से उछाला गया । मुफ्ती मुहम्मद सईद को घाटी में जिस जमीन की तलाश थी , वह मिल गयी थी ।रूबिया सईद के अपहरण के बाद से घाटी में अपहरणों और हमलों का दौर शुरू हो गया -
1) कश्मीर विश्व विद्यालय के उप कुलपति प्रोफेसर मुशरील हक और सेक्रेट्री अब्दुल गनी का अपहरण हुआ ।
2) एच एम टी के जेनरल मैनेजर एच एल खेड़ा का अपहरण हुआ ।
3) इंडियन आॅयल कार्पोरेशन के एक्सक्यूटिव डायरेक्टर दुरई स्वामी का अपहरण हुआ ।
इसके अतिरिक्त आई सी 814 का हाई जैक , संसद पर हमला जैसी बड़ी घटनाओं को भी अंजाम दिया गया ।
इस घटना के बाद संसद में राजीव गांधी ने रहस्योद्घाटन किया था कि रूबिया सईद का अपहरण पूर्व नियोजित था , जो गृह मंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद की संज्ञान में था । रूबिया को बारामुल्ला की एक मस्जिद में रखा गया था । रूबिया के घर से उसका नाश्ता व खाना आता था । इस आरोप का कोई माकूल जवाब मुफ्ती मुहम्मद सईद नहीं दे पाए थे । अलगाववादी नेता हिलाल वार ने भी अपनी किताब " ग्रेट डिस्क्लोजर - सीक्रेट अनमास्क्ड " में लिखा है कि पूरी योजना तत्कालीन डीजीपी के घर में बनायी गयी थी । वहां एक बैठक हुई थी , जिसमें जे के एल एफ के नेता यासीन मलिक भी शामिल थे । आज भी हिलाल वार डंके की चोट पर कहते हैं कि यदि मैं गलत हूँ तो यासीन मलिक मुझ पर मुकदमा करें । मैं कोर्ट में इस बात को साबित कर दूंगा ।
यासीन मलिक से पूछने पर वे कहते हैं - इस बात को गुजरे जमाना हो गया है । आज ये प्रश्न क्यों ? अब इसे कुरेदने से कोई फायदा नहीं है ।
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