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रविवार, 28 जनवरी 2018

◆श्रंगार सृजन◆

#शर्माते_हुए_श्रृंगार।।।
पहली बार चली है कलम
किसी के होठों के लिए
किसी की हरकती ज़ुल्फो के लिए
किसी के रुख़सारो की रंगत के लिए
ओर श्रृंगार की संगत के लिए।।।।

तू रात है चाँदनी मैं चाँद उस रात का।
तू खुशबू माटी की मैं पानी बरसात का।
कब आएगा वो पल मुलाकात का।

जगमगायेगा अम्बर जब रोशनी से।
चाँद सा मुखड़ा देखूँ जब ओढ़नी से।

लवो के थिरकने की आवाज़ सुनना।
दिलों में मोहब्बत का आगाज़ सुनना।

उनके पलको के गिरने का एहसास होगा।
उनका शर्मों से घिरने का आभास होगा।

रुख़सारो पे लाली यूं छाती रहेगी।
गीत कानों की बाली भी गाती रहेगी।

समेटेगी जुल्फे नज़रो को हमारी।

★क्या हम गुंडा हे!★


मेरे बोलने से फेसबुक पर मुह खोलने से क्या हो रहा है।
माँ ने किया दोबारा जौहर बस खूँ ख़ोल रहा है।

खिलजी बनकर भंसाली अब पैसे तौल रहा है।
गोरा बैठा पकड़े खूंटी बादल माथा फोड़ रहा।

राजपूत लड़ो आपस मे घमंड तुम्हारा तुमको तोड़ रहा।
राणा प्रताप तुम मूरख थे क्यों घास की रोटी खाई तुमने।
माटी माटी चिल्लाते तुम आज तुम्हारी नाक कटाईहमने।

राजपूत के गिरे रक्त का कर्जा यही चुकाया है।
भले घराने के बेटों को गुंडा आज बताया है।

'बिस्मिल' तुम भी गुंडे थे जो काकोरी की गाड़ी लूटी थी।
शैतान सिंह भाटी गुंडा था जिसने चीनी सेना कूटी थी।

सेना की गुंडा कोर डटी है भले मानस की रक्षा करने को।

अरे डूब मरो भारत के लोगो जो गुंडों से रक्षा लेते हो।
शासन करने वाली शक्ति नेताओ का कुतबा पड़ती है।
नेताओ की चमचागिरी रजपूती समसीरें करती है।

स्वाभिमान को जगा लो मित्रो रोटी घास की खालो मित्रों।
अब तो जुड़कर एक बनो रजपूती शान संभालो मित्रों।

अब तो समझो साजिश को जो सरकारें रचती आई है।
हमको हमसे अलग किया नफरत भरती आई है।

कसम खाओ अब तुम माता की आपस मे ना झगड़ा होगा।
मिलकर अगला प्रहार करेंगे जिसका जख्म भी तंगड़ा होगा।

विनती करता 'बिस्मिल' रजपूती अमीर घरानों से।
गौरवशाली फ़िल्म बनाओ पैसा लगाओ खजानों से।

किये धर्म जो क्षत्रिय ने व्यक्त करो इस भारत को।
मिलावटी इतिहासों से मुक्त करो इस भारत को।।
#बिस्मिल।।।

बुधवार, 27 दिसंबर 2017

लफ्ज-ऐ-बिस्मिल

#तेलू_पार्टी_पार्ट2 #सनक।।
चोर उचक्कों ने मिल करके कसम राम की खाई थी।।
राम नाम के अमृत में जहरीली दवा मिलाई थी।।
राम नाम से राजनीति में परचम अपना लहराया।
जंगलराज ओर गुंडागर्दी  से आम आदमी घबराया।
मोदी तेरी लहर चली थी या उठा कोई बवंडर था।
हिंदुबाद ओर राम नाम पर जीता बी जे पी का बंदर था।
इतनी भी क्या भक्ति मुरैना वाशियो ने दिखलाई थी।
जो अपने घर मे हार गया उसको भी जीत दिलाई थी।
अपने घर को बना सके ना लोगो ने लात लगाई थी।
इतना सब कुछ देख मूर्खो जातिवाद पर मुहर लगाई थी।
गरीब किसान मरता जाता सूखे और पालो से।
सांसद महोदय नही घेरते संसद को सवालों से।
गर्मी में क्वारी मैया एक नस हो जाती है।
जिसके नाम से जीते वो गौ माता प्यासी ही मर जाती है।
चिड़ियों की चहचाहट से भी  बीहड़ मौन हमारा है।
पौध लगा के सेल्फी लेना ही क्या कर्तव्य तुम्हारा है।
स्वच्छता के नाम पे तुमने भाईचारा साफ किया।
क्षत्रिय ब्राह्मण भेद डालकर वोटबैंक को नाप दिया।
सुनो मुरैना के वाशी तुम क्वारी  चम्बल की संताने हो।
युद्ध हो या आंदोलन हो विजयी होकर ही माने हो।
अन्याय विरुद्ध तुम लड़े हमेशा चोरों को गले लगाओ ना।
स्वाभिमान का मुकुट पहन कर अपना शीश झुकाओ ना।
ये नेता सेवक है अपने क्यों मालिक इन्हें बना देते।
इनके आगमन में  क्यूँ कायनात बिछा देते।
#बिस्मिल की आत्मा तुमसे प्रार्थना एक ही करती है।
तेलू भैया याद करो कि चम्बल योद्धाओं की धरती है।
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#अटल_के_संस्कारों_की_ताकत।
#बिस्मिल

राजा भलभद्र सिंह 'चहलारी'

यथोचित प्रणाम।  जो शहीद हुये है उनकी...... 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में,  अंग्रेजों के खिलाफ बहराइच जिले में रेठ नदी के तट पर एक निर...