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गुरुवार, 10 जनवरी 2019

लफ्ज़-ए-बिस्मिल

बूंद बूंद बही रक्त की रक्तिम बरसा सावन था।
सदा कटाया सर जब भी गरजा नैतिकता का रावण था।

क्यों महाराणा की गाथा आज किताबों से हट जाती है।
क्यो रजपूती तलवारें शक्कर के भावों में बिक जाती है।

आज जयचंद हमारे गद्दारो के समदार बने।
महाराज भारमल अकबर के जाने कैसे नातेदार बने।

अनंगपाल को ना जाने कब, कौन सामने लाएगा।
#बिस्मिल था क्षत्रिय का बेटा, आगामी पीढ़ी को कौन बताएगा।।

कौन बताएगा वो गड़ी हुई वो कोन्थर की करुण कहानी।
जिसमे घर घर थी विधवाएं ओर रक्तिम हुई जवानी।

अरे कैसे सीखें ये शावक अपने शेरो के हमलों को।
ये तो सत्य समझ बैठे उन फिरदौसी जुमलो को।

अरे कोई तो नानी दादी की कहानी फिर से शुरू करो।
अरे कोई तो सोना बाबू से क्षत्राणी का उदय करो।

परितोष ताऊ में जीवन आप सभी का आभारी हूँ।
बिस्मिल नाम मिला है ओर में माँ चम्बल का ऋणधारी हूँ।

आप बताओ इतिहास हमारा हम जगजाहिर कर देंगे जी।
एक बार वह विजय पताका समस्त विश्व पर रख देंगे जी।।

कुंवर अनुज सुमन सिंह तोमर तरसमा (बिस्मिल)..
.9713086007

आदरणीय ताऊ जी को समर्पित।।।।

राजा भलभद्र सिंह 'चहलारी'

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