#शर्माते_हुए_श्रृंगार।।।
पहली बार चली है कलम
किसी के होठों के लिए
किसी की हरकती ज़ुल्फो के लिए
किसी के रुख़सारो की रंगत के लिए
ओर श्रृंगार की संगत के लिए।।।।
तू रात है चाँदनी मैं चाँद उस रात का।
तू खुशबू माटी की मैं पानी बरसात का।
कब आएगा वो पल मुलाकात का।
जगमगायेगा अम्बर जब रोशनी से।
चाँद सा मुखड़ा देखूँ जब ओढ़नी से।
लवो के थिरकने की आवाज़ सुनना।
दिलों में मोहब्बत का आगाज़ सुनना।
उनके पलको के गिरने का एहसास होगा।
उनका शर्मों से घिरने का आभास होगा।
रुख़सारो पे लाली यूं छाती रहेगी।
गीत कानों की बाली भी गाती रहेगी।
समेटेगी जुल्फे नज़रो को हमारी।
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