सोमवार, 29 जनवरी 2018

●शुभस्य मङ्गलम्●


==मङ्गलम् प्रभातम्==         
1.इतने भारी शरीर वाला हाथी छोटे से अंकुश सा वश में किया जाता है। सब जानते हैं की अंकुश परिमाण में हाथीसे बहुत छोटा होता है.।
प्रज्जवलित दीपक आसपास अंधकार को ख़त्म कर देता है। जबकि परिमाण में अन्धकार तो दीपक से कहीं अधिक विस्तृत एवं व्यापक होता है।
वज्र के प्रभाव से बडे-बडे पर्वत टूट जाते हैं। जबकि वज्र पर्वत से बहुत छोटा होता है।
आचार्य चाणक्य के इस कथन से आशय यह है की अंकुश से इतने बडे हाथी को बाँधना, छोटे से वज्र से विशाल एवं उन्मत पर्वतों का टूटना, इतने घने अन्धकारका छोटे से प्रज्जवलित दीपक से समाप्त हो जाना। इसी सत्य के प्रमाण है की तेज ओज की ही विजय होती है। तेज में ही अधिक शक्ति होती है।

२.जिस प्राणी के पास बुद्धि है उसके पास सभी तरह का बल भी है। वह सभी कठिन परिस्थितियों का मुकाबला सहजता से करते हुए उस पर विजय पा लेता है।
बुद्धिहीन का बल भी निरर्थक है, क्योंकि वह उसका उपयोग ही नहीं कर पता, बुद्धि के बल पर ही के छोटे से जीव खरगोश ने महाबली सिंह को कुएँ में गिराकर मार डाला।यह उसकी बुद्धि के बल पर ही संभव हो सका।

३.यह एक कटु सच्चाई है की किसी भी ढंगसे समझाने पर भी कोई दुष्ट सज्जन नहीं बन जाता, जैसे घी-दूध से सींचा गया, नीम का वृक्ष मीठा नहीं हो जाता ।

          -जितेन्द्र सिंह तोमर'५२से'

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

राजा भलभद्र सिंह 'चहलारी'

यथोचित प्रणाम।  जो शहीद हुये है उनकी...... 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में,  अंग्रेजों के खिलाफ बहराइच जिले में रेठ नदी के तट पर एक निर...