#तेलू_पार्टी_पार्ट2 #सनक।।
चोर उचक्कों ने मिल करके कसम राम की खाई थी।।
राम नाम के अमृत में जहरीली दवा मिलाई थी।।
राम नाम से राजनीति में परचम अपना लहराया।
जंगलराज ओर गुंडागर्दी से आम आदमी घबराया।
मोदी तेरी लहर चली थी या उठा कोई बवंडर था।
हिंदुबाद ओर राम नाम पर जीता बी जे पी का बंदर था।
इतनी भी क्या भक्ति मुरैना वाशियो ने दिखलाई थी।
जो अपने घर मे हार गया उसको भी जीत दिलाई थी।
अपने घर को बना सके ना लोगो ने लात लगाई थी।
इतना सब कुछ देख मूर्खो जातिवाद पर मुहर लगाई थी।
गरीब किसान मरता जाता सूखे और पालो से।
सांसद महोदय नही घेरते संसद को सवालों से।
गर्मी में क्वारी मैया एक नस हो जाती है।
जिसके नाम से जीते वो गौ माता प्यासी ही मर जाती है।
चिड़ियों की चहचाहट से भी बीहड़ मौन हमारा है।
पौध लगा के सेल्फी लेना ही क्या कर्तव्य तुम्हारा है।
स्वच्छता के नाम पे तुमने भाईचारा साफ किया।
क्षत्रिय ब्राह्मण भेद डालकर वोटबैंक को नाप दिया।
सुनो मुरैना के वाशी तुम क्वारी चम्बल की संताने हो।
युद्ध हो या आंदोलन हो विजयी होकर ही माने हो।
अन्याय विरुद्ध तुम लड़े हमेशा चोरों को गले लगाओ ना।
स्वाभिमान का मुकुट पहन कर अपना शीश झुकाओ ना।
ये नेता सेवक है अपने क्यों मालिक इन्हें बना देते।
इनके आगमन में क्यूँ कायनात बिछा देते।
#बिस्मिल की आत्मा तुमसे प्रार्थना एक ही करती है।
तेलू भैया याद करो कि चम्बल योद्धाओं की धरती है।
**************************************************
#अटल_के_संस्कारों_की_ताकत।
#बिस्मिल
बुधवार, 27 दिसंबर 2017
लफ्ज-ऐ-बिस्मिल
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
राजा भलभद्र सिंह 'चहलारी'
यथोचित प्रणाम। जो शहीद हुये है उनकी...... 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में, अंग्रेजों के खिलाफ बहराइच जिले में रेठ नदी के तट पर एक निर...
-
तोमर/तँवर राजवंस कुलदेवी ऐसाहगढ़ी ----------------------------------------------- जिला मुरैना(पूर्व का जिला तंवरघार) कभी तंवरघार की सीमाओ निर...
-
हरा भऱा वीरौ से हर दम प्यारा हिन्दुस्तान रहा सव देशो मे देश हमारा भारत ये वलवान रहा । अवधपुरी के रामचन्द्र ने लन्कापति को मारा था मथुरा ...
-
-------:अघोर साधक बाबा कीनाराम:------- ******************************** यह घटना 1757 की है जब एक महान् अघोर साधक अपने ग...
-
--- राजपूतो में चौरासी की अवधारणा--- राजपूतो के बसापत का पैटर्न समझने के लिए ये पोस्ट जरूर पढ़ें। इससे पहले इस विषय पर कभी नही लिखा गया-- राज...
-
#क्रांतिनायक_राजाराव_रामबख्शसिंह वह 17 दिसम्बर 1859 का दिन था,जब क्रांतिकारी राजा की मुश्के जंजीरों से पग बेड़ियों से जकड़े हुए थे। अंग्रेज जज...
-
Ramshah Tomar 18 जून. 1576 को हल्दीघाटी में महाराणा प्रताप और अकबर की सेनाओं के मध्य घमासान युद्ध मचा हुआ था| युद्ध जीतने को जान की बाजी ल...
-
लड़का बीती को बिसार जीवन के नये लक्ष्य को लेकर आगे के धागे बुनने में मस्त हो गया,पर उसके अंग-अंग में बस चुकी जीवन शैली को बिसारने में उत...
-
====चम्बल एक सिंह अवलोकन==== भाग ३ ●बागी माधो सिंह भदोरिया ● चंबल नदी का पानी जित...
-
रश्म ओ गारित हर एक मंजर दिखाई देता है, मुझको जलता हुआ मेरा घर दिखाई देता है ! जीवन निकला खुशियो का कैदखाना बुनते-बुनते, देखा टूटा हुआ फूंस क...
-
#नेह.. जब नेह पर अशेष भावनाओं का सम्मान व समान एकीकार स्वरूप 'स' का अर्द्धभाग संयुक्त होता है।वहाँ ठाठे मारते सागर की तरह,विकार रहित...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें