नितांत निर्जन ,अकेले पलो में शोशल मिडिया से जुड़ना उतना ही हितकर हे जितना आटे में नमक । दिन प्रतिदिन चतुर होते मोबाइल से हमे हजारो लोगो के साथ संवाद स्थापित करने का माध्यम दिया किन्तु हमारे स्वम के विवेक का अपहरण भी हुआ ।
आये दिन किसी न किसी भाई के मोबाइल गुम होने के साथ नम्बर्स इनबॉक्स करने की पोस्ट देखता हु , क्योंकि मोबाइल डाइरेक्ट्री के सुरक्षित नम्बर पर से कभी भी सुलभता पूर्ण काल की सकती हे ,लेकिन आलस्य और अब याद नहीं रहता की बात सुनना आम हो चुका हे , कही आप मोबाइल की सुविधा के कारण भूलने के बीमारी के शिकार तो नहीं ?
कभी कभी देखता हु सेलफोन के माध्यम से हजारो लोगो से जुड़ा व्यक्तित्व ,अपने परिवारी लोगो से ,बुजुर्गो से कटा कटा रहता हे ।
क्यों की उनको मानसिक स्तिथि वास्तविकता से आभाषी दुंनिया का आदी हो चुका होता हे ।
महाभारत पर विवेचना करके अपने को बहुमुखी कहलाने बाले मेरे जेसे जीव कभी घर की महाभारत पर कोई जवाब नहीं दे पाते हे ।
अजिव् सा व्यक्तित्व हो जाता हे न ढंग से खाना न सोना पोस्ट लिखने का मेटर तलासते लोग जिंदगी का मेटर भूल चुके होते हे ।
कभी उत्कृष्ट श्रेणी के वक्ता विवेचनकर्ता सिर्फ मूक होकर शब्द का जाल तो बुन सकते हे लेकिन प्रासंगिक तत्यों पर जिवंत वक्तव्य हकला जाता हे ।
हालांकि मुझे भी काफी स्नेह मिला इस दुनिया में आत्मीय स्नेह की धारा से सरावोर हु ,अच्छे विचारक,उत्कृष्ट लेखक,जीवन की अनछुई बातो से रुवरु करबाती कथाओ के सृजन करता ।
एक से एक अनुपम कृतियों के लेखक ,हस्यविनोद पर रोचक लेखन सब मिला किन्तु कभी भी शोशल मिडिया का आदि नहीं हुआ ।
मुझे पता हे बढ़ते हुए मेसेंजरो की शब्द रूपी बाते आपको यतार्थ से बहुत दूर ले जाएंगी ।और आप वचन माध्मय की संवाद पृकृति को भुला चुके होंगे ।
शोशल मिडिया केआलावा निजी जीवन में बातो तड़का याद रखे ,कही जुवान होते हुए उत्तर आपके पास होकर भी सम्बाद स्थापित करने की प्रक्रिया न जाती रहे और आप शब्द होते हुए भी जुवान का सही प्रयोग न कर पाये ।
●जय श्री कृष्ण ●
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