कालिदास एक बार भ्रमण करते-करते एक गांव पहुंचे गए। बहुत प्यास लगी थी, तो एक घर के द्वार जाकर पानी मांगा।
वहां मौजूद स्त्री और अपने ज्ञान के चलते ख्याति अर्जित कर चुके कालिदास के बीच रोचक संवाद हुआ। एक नजर इसी संवाद पर -
कालिदास बोले: माते पानी पिला दीजिए बड़ा पुण्य होगा।
स्त्री बोली: बेटा मैं तुम्हें जानती नहीं।अपना परिचय दो। मैं अवश्य पानी पिला दूंगी।
कालिदास: मैं मेहमान हूं, कृपया पानी पिला दें।
स्त्री:तुम मेहमान कैसे हो सकते हो? संसारमें दो ही मेहमान हैं। पहला धन और दूसरा यौवन। इन्हें जाने में समय नहीं लगता। सत्यबताओ कौन हो तुम ?
(अब तक के सारे तर्क से पराजित हताश तो हो ही चुके थे)
कालिदास बोले:मैं सहनशील हूं। अब आप पानी पिला दें।
स्त्री ने कहा: नहीं, सहनशील तो दो ही हैं। पहली, धरती जो पापी-पुण्यात्मा सबका बोझ सहती है। उसकी छाती चीरकर बीज बो देने से भी अनाज के भंडार देती है,
दूसरे पेड़ जिनकोपत्थर मारो फिर भी मीठे फल देते हैं। तुम सहनशील नहीं। सच बताओ तुम कौन हो ?
(कालिदास लगभग मूर्च्छा की स्थिति में आ गएऔर तर्क-वितर्क से झल्लाकर बोले)
कालिदास बोले:मैं हठी हूं.
स्त्री ने कहा: फिर झूठ। हठी तो दो ही हैं- पहला नख और दूसरे केश, कितना भी काटो बार-बार निकल आते हैं।
सत्य कहें ब्राह्मण कौन हैं आप ?(कालिदास पूरी तरह अपमानित और पराजित हो चुके थे)
कालिदास ने फिर कहा: फिर तो मैं मूर्ख ही हूं।
स्त्री फिर बोली: नहीं, तुम मूर्ख कैसे हो सकते हो?
मूर्ख दो ही हैं।
#पहला_राजा_जो_बिना_योग्यता_के_भी_सब_पर_शासन_करता_है,
#और_दूसरा_दरबारी_पंडित_जो_राजा_को_प्रसन्न_करने_के_लिए_गलत_बात_पर_भी_तर्क_करके_उसको_सही_सिद्ध_करने_की चेष्टा करता है।
(कुछ बोल न सकने की स्थिति में कालिदास वृद्धा के पैर पर गिर पड़े और पानी की याचना में गिड़गिड़ाने लगे।)
स्त्री ने कहा: उठो वत्स! (आवाज सुनकर कालिदास ने ऊपर देखा तो साक्षात् माता सरस्वती वहां खड़ी थीं,
कालिदास पुनः नतमस्तक हो गए।)माता ने कहा:शिक्षा से ज्ञान आता है न कि अहंकार। तूने शिक्षा के बल पर प्राप्त मान और प्रतिष्ठा को ही अपनी उपलब्धि मान लिया और अहंकार कर बैठे, इसलिए मुझे तुम्हारे चक्षु खोलने के लिए ये स्वांग करना पड़ा।
कालिदास को अपनी गलती समझ में आ गई और भरपेट पानी पीकर वे आगे चल पड़े।
सीख:-विद्वत्ता पर कभी घमण्ड न करें, यही घमण्ड विद्वत्ता को नष्ट कर देता है।
शुभ दिवस ,
जय श्री कृष्ण
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें