===चम्बल एक सिंह अबलोकन===
★रूपा पण्डित ★{तृतीय भाग}
सर्दिया अपना पूर्ण रूप लेने लगी थी और इधर रुपा पर बिचित्र सनक सबार होती जा रही थी।31 दिसंबर 1958 की रात मध्यप्रदेश और राजस्थान के के बीच एक छोटे से गांव से चार लोगो को रूपा ने पकड़ा और उनका कत्ल कर दिया। थोड़ी देर बाद ही मुरैना जिले के एक गांव से चार और बेगुनाह लोगो को पकड़ उन्हें भी मौत के घाट उतार दिया। रूपा ने मध्यप्रदेश पुलिस के ऐलान का जवाब इस तरह से बेगुनाहों का खून बहा कर दिया था।
मध्यप्रदेश पुलिस की डायरियों में रूपा और लाखन जी1और जी 2 के गैंग के तौर पर दर्ज हो चुके थे। पुलिस किसी भी कीमत पर इन दोनो का सफाया करना चाहती थी। इसी बीच अपने दुश्मनों की हवेली जला कर लाखन ने पुलिस के लिए बड़ी चुनौती डाल दी थी। इस पर सरकार ने सबसे पहले लाखन का सफाया करने के लिए एसएएफ की एक पूरी बटालियन पुलिस अधिकारी टी क्विन (कोड नेम जो असल कुछ और थी)के नेतृत्व में लाखन के गांव नगरा में उतार दी।
टी क्विन किसी भी तरह से लाखन का सफाया चाहता था। पहले तो सीधी मुठभेड़ हुई लेकिन लाखन सिंह आसानी से पुलिस के जाल को काटकर निकल भागा। इस पर टी क्विन ने पहली बार चंबल में ऐसी चाल चली जो चंबल में न कभी सुनी गई थी और न देखी गई थी।
टी क्विन नगरा के आस पास के गांवों की रात दिन खाक छान रहा था। हर गांव में उसने अपना मजबूत मुखबिर तंत्र खड़ा कर लिया था। लेकिन उसको न लाखन का सुराग मिल रहा था और न ही रूपा का। टी क्विन ने रूपा के गैंग छोड़ कर पुलिस के सामने समर्पण करने वाले एक डकैत को अपने विश्वास में ले लिया। उससे हासिल सूचनाओं के आधार पर टी क्विन ने एक के बाद एक रूपा के लोगो को पकड़ना और मार गिराना शुरू कर दिया। रूपा ने बदला लेने का प्लान बनाया।
भिंड में पुलिस के घेरे में रह रहे मुखबिर के रिश्तेदारों को टार्चर किया और उन्हें मजबूर कर दिया कि वो मुखबिर को किसी बहाने से अपने यहां बुलाएं। और एक दिन जब वो मुखबिर जाल में फंस कर अपने रिश्तेदारों के यहां पहुंचा तो वहां उसका इंतजार कर रहा था .......रूपा। मुखबिर को बुरी तरह से यातना देकर मौत के घाट उतार दिया।
इसके बाद रूपा ने अपना दिमाग लगाया टी क्विन के सफाए पर। टी क्विन ने कई बार रूपा को दौड़ाया था और उधर रूपा ने एंबुश करना शुरू कर दिया। एक दिन मुरैना के जंगलों में घूम रहे टी क्विन पर उसका निशाना लग भी गया ........ अब तक पुलिस व्यूह रचती थी लेकिन इस बार सिकरवारि की डांग में शिकारी खुद शिकार हो गयी होती लेकिन टी क्विन के ड्राईवर ने अपनी जान पर खेलकर भी टी क्विन को निकाल लिया। वारदात में टी क्विन के साथ बात करने वाले 9लोगो को रूपा ने गोलियों से भून दिया।
टी क्विन ने हार नहीं मानी। एक के बाद एक मुखबिरों के सहारे दोनो गैंग को ठिकाने लगाने की कोशिशों में जुटा रहा। लेकिन दोनो गैंग अलग अलग दिशाओं में काम करते थे ऐसे में एक दिन टी क्विन को एक मुखबिर ने सलाह दी कि क्यों न 'कंटनैव कंटकै'की निति से काम निकाल दिया जाएं।
कांटे से कांटा यानि लाखन का कांटा रूपा के कांटे से निकाल दिया जाएं। और फिर रूपा का देखा जाएंगा। टी क्विन को ये राय जम गई। और फिर टी क्विन ने रूपा पर जाल बिछाना शुरू कर दिया। रूपा के एक रिश्तेदार की मदद से टी क्विन उस तक पहुंच गया।
टी क्विन ने रूपा को लालच दिया कि अगर वो लाखन सिंह का सफाया करा देता है तो फिर उसको हाजिर कराने में टी क्विन उसकी मदद करेगा। ये तो आज भी साफ नहीं कि क्या वाकई रूपा इस बात परयकीन कर रहा था? लेकिन ये साफ था कि वो लाखन सिंह का सफाया चाहता था लिहाजा उसने टी क्विन से हाथ मिला लिया। इसके बाद टी क्विन को सूचना मिलना शुरू हो गया।
पुलिस को पोरसा इलाके में लाखन सिंह की सटीक मुखबिरी पुलिस को कर दी। सैकड़ों पुलिस वाले तेजी से पोरसा के जंगलों में चुपचाप जा धमके। लेकिन किस्मत ने लाखन का साथ दिया। उसकी लोकेशन से पहले ही पुतली का गैंग निश्चित होकर खाना बना रहा था। ऐसे में पुलिस का उसके साथ आमना सामना हो गया। घटना में पुतली और उसका पूरा गैंग पुलिस की गोलियों का निशाना बन गया। लेकिन लाखन मौके का फायदा उठाकर निकल चुका था।
पुलिस की काफी किरकिरी हो रही थी। इससे भी ज्यादा परेशानी टी क्विन और रूपा पंडित के बीच के रिश्तों को लेकर होने लगी। टी क्विन चंबल के सबसे खूंखार डकैत के साथ दोस्ती की कहानियां सरकार को मिलने लगी। मीडिया ने दबाव बढ़ा दिया। टी क्विन को जेड ओ यानि जोनल ऑफिसर वन कहा जाता था लेकिन इन दोनो के रिश्तों के चलते पूरे इलाके में रूपा को जेड़ ओ 1 और टी क्विन को जेड और 2 कहा जाने लगा।
पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक 26 अक्तूबर 1959 का दिन था। टी क्विन ग्वालियर से वापसी के रास्ते में महुवा गांव में रूके। इस बीच महुवा थाने के रिकॉर्ड में दर्ज हुआ कि जी 1 गैंग की आमद इलाके में होने वाली है। रूपा का गैंग वारदात के लिए लाखन के गांव नगरा की ओर जाने वाला है। गैंग की दूरी कुछ मील दूर है। टी क्विन ने कुछ ही देर में 9 बटालियन का इंतजाम कर लिया। इलाके को पूरे तरह से घेर लिया गया।
दो प्लानटून नगरा की तरफ
दो प्लाटून महुआ,
दो प्लाटून काली आरोली
और एक एक प्लाटून उद्योतगढ़ और पोरसा भेज दी गई।
क्विंस ने छह बटालियन के साथ मार्च किया। और बीहड से चंबल के बीच की जगह में घेरा बंदी कर ली। पुलिस जैसे ही कुछ आगे बढ़ी तो गैंग के पहरेदार जिसे आउटपोस्ट कहा जाता है ने शोर मचाना शुरु कर दिया कि "पतरी दाल खाने बालो की आमद हुई भजो रे भजो" गोलियां चलने लगी। पुलिस ने आवाज को निशाना बना कर 28 ग्रुप बना कर एक के बाद एक कई घेरे बना दिये।
गैंग तीन तरफ से भाग कर तीन मील को पार कर राजस्थान में निकलना चाहता था लेकिन हर तरफ पुलिस की भारी फायरिंग हो रही थी। और रूपा के गैंग के बचने का कोई रास्ता नहीं था। चंबल की ओर भागते हुए गैंग को चंबल से आधा किलोमीटर पहले ही एक दूसरी पुलिस पार्टी से सामना हुआ। पुलिस जमादार बालम सिंह ने अपनी रेंज में दिख रहे तीन लोगो पर अचानक अपनी टॉमीगन से गोलियों की बौछार कर दी। गोलियों के साथ चीखने की आवाज भी हवा में गूंजी और फिर शांत हो गई। रात का वक्त था ऑपरेशन रोक दिया गया। अल सुबह तलाश शुरू हुई तो कुछ दूर जंगल में एक लाश मिली लेकिन जैसे उसका चेहरा पहचाना गया तो टी क्विन निराश हो गया क्योंकि ये रूपा नहीं था बल्कि उसका गैंग का राजाराम था। पुलिस पार्टी लौट ही रही थी कि एक और खून के निशान दिखाई दिए।ष निशान के पीछे जाने पर कुछ दूर पर ही गोलियों से छलनी एक लाश थी। और लाश की पहचान के साथ ही टी क्विन खुशी के साथ नाचने लगा। क्योंकि ये लाश किसी और की नहीं मानसिंह के बाद चंबल के सबसे बड़े डाकू रूपा की लाश थी।
हालांकि चंबल के किस्सों में ये कहानी कुछ दूसरे तरीके से कही जाती है।
आम लोगो के मुताबिक टी क्विन ने लाखन को मार पाने में नाकाम रहने पर रूपा का ही काम तमाम करने की ठानी। उधर रूपा को टी क्विन पर पूरा विश्वास था लिहाजा टी क्विन के बुलावे पर वो गैंग को पीछे छोड़ कर सिर्फ राजाराम के साथ ही महुआ आ पहुंचा और वहां टी क्विन ने उसका एनकाउँटर कर दिया और एक खूबसूरत जाल में फसकर रुपा ने स्वम अपनी मोत का सामान इक्ट्ठा किया था ।
लेकिन कहानी कुछ भी हो चंबल का एक और आतंक पुलिस की गोलियों का निशाना बन गया था। इस मुठभेड की सूचना मिलने पर के एफ रूस्तम जी ने अपनी टेबल में लगे हुए चार्ट से जी 1 गैंग के नाम पर भी काटा लगा दिया। और चंबल का एक और खौंफनाक डाकू जमीन से उठ कर किस्सों की नदी में उतर गया।
-: किस्सा पुलिस रिकार्ड और बुजुर्गो की बातो पर आधारित।
कृमशः....
मिलते रहेंगे किसी नयी पुरानी कहानी के साथ। सलग्न चित्र प्रतीकात्मक।
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