भारत की जनता देशद्रोहियों को कभी क्षमा नहीं करती लेकिन उसका गुस्सा सिर्फ तात्कालिक होता है और कुछ समय बाद चिकना घड़ा सब सूख जाता है कितना भी कोई काटे दर्द बस दर्द रहने तक बाद में सब माफ़ .....!
किन्तु #अवन्ति पूरा-पुलवामा ऐसा घाव हे जिसे बदला मिलने तक पुनि-पुनः कुरेद-कुरेद कर उस दर्द का अहसास होने देना हे क्यों की हमने जो 44 बंधू इस कायरता से भरे हमले में खोये हे।उनको हर एक सेंटीमीटर माप कर,पालपोस कर राष्ट्र को समर्पित किया था और वह सर्वोपरि वलिदान देते हुए वीरगति को प्राप्त हुए हे।किन्तु इससे बड़ा कष्ट एक राष्ट्र के लिए और क्या होगा जिसने प्रत्येक जवान सेमी-सेमी माप कर लिया हो और घर लौटाने के लिए सेमी-सेमी चुनना पड़ा हो ...!
अवन्तिपुरा की सड़को से वह वीररक्त साफ़ कर दिया होगा किन्तु भारतमाता के आँचल पे लगे इस ममता के दाग को कैसे धोया जाए ...!
माँ का आँचल उसके बच्चों के रक्त के धोने के लिए माँ को दुश्मनो का रक्त जाहिये फिर चाहे वो राष्ट्रद्रोही मझहवी कश्मीरियों का हो या देश की विभिन्न शैक्षणिक संस्थाओ में पल रहे सफेद आतंकियों का हो !
हा उनको देखा हे हम सबने इस शहादत पर जश्न मनाते हुए।पार्टियो के लिए टिप्पणी नुमा निमन्त्रन देते हुए!आज समय हे इस ग़हरे जख्म को जो हमने 14 फ़रवरी को खाया हे उसे दुष्ट दुश्मन के अस्थिमज्जा,माँस, रुधिर का स्नेहलेप लगाया जाए ।
भारत की राजनयिक सत्ता से अनुरोध हे की 35a और 370 जेसी घृणित धाराओ को समूल रूप से खत्म कर इन राष्ट्र द्रोहियो की नश्ल का समूल उन्मूलन कर दिया जाए ।
देश से यह राष्ट्रद्रोही बीज नाश कर पुनः किसी की हिम्मत न हो ऐसा दण्ड दिया जाए ।
कड़ी भृत्स्नाये और निंदाये बहुत हुई साहव अब सहन नहीं होता।क्यों न इन निंदाओ और भर्त्सनाओ को क्रोध में परिवर्तित कर इन हरामी आतंकियों को चोराहो पर लटका कर सुखा दिया जाए ।
राजनयिक दलो को वोट की राजनीति छोड़ सत्ता पक्ष्य का साथ देना चाहिए और कमीने सिद्धू जेसे पाक परस्त को तत्काल जेल में डाल सडा देना चाहिए ।
अमेरिका के पेंटागन और व्हाइट हाउस पर आतंकी हमला हुआ था और जश्न अफगान में मना ...!
परिणीति में अमेरिकी फौजो ने अफगान से एक एक आतंकी को चुन-चुन कर मारा हे।क्या हम उन मज़ हवी कश्मीरियों और विभिन्न विश्व विदयालयी मज हवियो को मार इस देश की दीमक को खत्म नहीं कर सकते ..!
हा मेरा खोलता रक्त उन राष्ट्र द्रोहियो के लहू से सड़के लाल करने को आतुर हे।आप बिपक्ष और अंतराष्ट्रीय नीतियों से बंधे होंगे किन्तु हम भारतवासी नहीं,कम से कम अपेक्षित आग्नेयास्त्र ही उपलब्ध करा दीजिये।अगर राष्ट्रहित में गुमनाम मृत्यु आई तो अभिनन्दन के साथ स्वीकार्य हे ।
बहुत सहन किया अब तक किन्तु अब टुकड़ो हुए दिव्य पार्थिव शरीर देखे नहीं जाते!आखिर हम कब तक अपनों कन्धों पर सेनिक भाइयो की ताबूते ढोये क्या हमारे कन्धे अपने भाइयो के साथ कन्धे-कन्धा मिलाकर रायफल और रॉकेट लांचर नहीं ढो सकते सकते !
में देखता हूँ प्रातः-प्रातः अपने गाँवों का जज्बा जहाँ भाइयो की वीरगतिया देख लड़को का क्रोध और बदले की भावना से सड़को को रौंदते युवा जो सैनिक बनने के लिए इतनी सर्दी में पसीने से लथपथ होकर देश के लिए समर्पित होना चाहते हे।एक भाई की शहादत का बदले के लेने के लिए कम से कम 100 पाक और पाकपरस्तो का नरमुण्ड उन सूखे आंचलों और सिंदुरो,कलाइयों के लिए कॉंपति उंगलियो के लिए लाना चाहते हे ।
किन्तु....!!
क्रोध परवान चढ़ता हे जब भारत में रहकर भारत का खाकर,आधुनिक पढे-लिखे देशद्रोही विश्वविद्यालयी आतंकी शोशल मिडिया पर हमारे भाइयो की शहादत का जश्न मनाते हे ।
आज वक्त हे देश की दीवारो में लगे इस विश्वविद्यालयी घुन-दीमक पर पेट्रोल छिड़क आग के हवाले कर दिया जाए।क्योंकि हम कृषक पुत्र वर्षो से अपने खेतो में लगी दीमक,टिड्डी,कीटो को होनेबाली हानि को नजरअंदाज कर मात्र अगली फसलो के भविष्य के लिए यह हानि भी स्वीकार कर अपना कर्तव्य निर्वहन करते आ रहे हे ।
आखिर भारत क्षतिपूर्ति विस्मसरण करने बाला देश हे कुछ समय बाद सब भूला देगा.....!!
#पुलवामा अटेक पर द्रवित और क्रोधित लेखनी के साथ ....वीर सपूतो को कोटि कोटिस नमन
----जय हिन्द
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जितेन्द्र सिंह तोमर'५२से'
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