शुक्रवार, 12 अक्टूबर 2018

आहा जिंदगी (गजल)

ज़रा सी है ये ज़िन्दगी, तक़रार क्याकरना ,
जब रहना है साथ साथ, तो रार क्या करना !

दुखित है वैसे भी मन, तमाशे देख दुनिया के,
फिर भरे बाज़ार में, तमाशा यार क्या करना !

काट लो खुशियों से, बची है जो ज़िंदगी यारो,
इसके लिए भी यूँही, नख़रे हज़ार क्या करना !

झेली हैं हमने मुश्किलें, वह अपना करम था ,
अपने लिए किसी और को, लाचार क्या करना !

न जीत पाया कोई भी, इन नफरतों के खेल में,
ज़िंदगी के सफर में, किसी पे वार क्या करना !

,(एक वर्ष पहले फेसबुक )

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