सोमवार, 24 जुलाई 2017

★डायरी के पन्नों से ★

★#डायरी_के_पन्नों_से★

आसाम फोरेस्ट रेंज का बो नियुक्ति पत्र आज भी याद हे जव किस्मत ने अपना सर्वश्रेष्ठ सहयोग किया था ........एक खाकी रंग का लिफाफा लिए एक मित्र अतिप्रश्नन अवस्था में लगबग इस तरह आ मेरी तरफ भागा आ जेसे कई दिनों की पॉवर कटिंग के बाद एकाएक आने पर बच्चे प्रशन्न होकर खुश होते हे ........

आते ही गले लिपट कर "लेओ अब पार्टी देवे को टाइम आय गओ हे तिहाई बहुत समय की मेहनत रंग लायी जे देखो फोरेस्टर की बिकेन्सी पे तुम सिलेक्ट होइ गए " में कुछ पलो के लिए जड़ हो चुका था ।
'अरे भैया यही हो की कहु दूसरी दुनिया में '? बोलते हुए झि झोड़ दिया ......चेतन हुआ शरीर ......
अति उताबला होकर अंदर रखा नियुक्ति पत्र एक साँस पड़ते ही .....उछल ही पड़ा था में अरे बाह लाला तुम मेरी जिंदगी की बो कड़ी हो जिसने प्रगति की पहली खबर लाये हो खुश रहो भैया कहते हुए आँखों से ख़ुशी के प्रमाण स्वरूप अश्रुधारा बह निकली .......

करीब एक सप्ताह बाद अंकपत्र ,और जरूरी प्रमाण पत्रो के सत्यापन के लिए डिब्रुगढ़ फारेस्ट ऑफिस में पहुचना था ।
एक अनजान क्षेत्र,जयवायु,भाषा विचार ,और भौगोलिक स्तिथि की कल्पनायें  रह रह मस्तिष्क में चलचित्र की भाति चलायमान होकर पुरे सप्ताह नींद में भी न सो पाने की विलक्षण अनुभवता का आभास कराती रही .....

बो दिन भी आया जब निकलना था सपनो के प्रदेश के लिए इटावा स्टेशन से नियत समय पर ट्रेन पकड़ी सुयोग से जनरल बोगी में सीट मिली और हम अपने साथ लाये  और केरी बेग को हैंगर से लटका कर में निश्चिन्त होकर खिड़की से प्रकृति की चाल रहित चलायमान दृश्यों को देखता रहा .....इसी स्तिथि न जाने कब आँख लगी .....कितने ही स्टेशन निकल चुके थे जब आँख खुली तो मुगल सराय स्टेसन पर रेलवे वेंडरों की कर्कश आवाजे सुनाई दी ........गर्म समोसे....गर्म चाय....ताजे फल .......
मुझे कुछ लेना था ही नही पानी के अलावा ं एक पानी बोतल खरीद ली क्यों की दोपहर का समय लगभग नजदीक और प्रवल होती खाने की इच्छा ....घर से लाया खाना सर्दी के मौषम की बजह से सुरक्षित था खाना खा कर एक पुरानी बुक "रूहो के मेले" की 2 कहानिया पढ ली और जमहाइयो का जोर फिर से सोने के लिए संकेत देने लगा ।

नियति समय से करीव एक दिन पहले में डिब्रुगढ़ के प्राकृतिक सौंदर्यता से मोहित हो उठा यथा सम्भव एक रम लिया और नित्य कर्मो से निवृत होकर घूमने निकल पड़ा किन्तु यहां एक भारी चूक हुई जल्द बाजी में केरी बेग के अंदर रखा एक हैंड बेग जरुरति सामान और कुछ मैप और डॉक्यूमेंट की फ़ाइल लिए घूमने निकल पढ़ा किन्तु जुवान होते हुए भी अवाक रहा ......यहाँ हिंदी स्टेशन पर ही समझ आती थी लोगो को मार्केट में हिंदी की समझ के कम ही व्यक्ति मिले ......शाम को
अनमने मन से बापस लॉज लोट ही रहा की ........हाथ में .....एक हाथ में जोरदार दर्द की लहर दोढ़ गयी बैग गिर कर छिटक गया ......की पीठ भी वार हुआ .....खुद को संभल पाता या कुछ समझ पाता उससे पहले घुटने में एक राड का जख्म खून लेख कर कपडो का रंग बदल चुका था ।
किन्तु कभी कभी मरणात्न्तक स्तिथि में शक्ति संचार तीव्रता से होता हे .....एकाएक पड़ी पत्थर की टुकड़ी हाथ में आई और विजली की भाति उनके चेहरों पर घात करती रही नाक मुह भोह ओठ फुड़वा कर हमलावर भाग खड़े हुए किन्तु हमले का उद्देश्य बो हैंडबेग ले भागे साथ में ...........

अव रोना आ रहा था 100 नम्बर डायल किया करीव 25 मिनट बाद पुलिस आई और जरूरी कार्य वाही के सिविल हॉस्पिटल में भर्ती किया गया उपचार पट्टी टाँके लिए जाते रहे और हम किस्मत साथ होते हुए भी समय मार में पड़कर .स्वम को कोसते रहे ...
.सुभह हॉस्पिटल से जबरदस्ती निकल आये पेअर की चोट रह रह कर चलने नहीं दे रही थी कैसे भी करके चेक आउट किया और पहुचते हे फारेस्ट ऑफिस हिंदी अंग्रेजी मिश्रित भाषा के साथ एक युवा जिसके शरीर पर जख्मो प्रतिबिम्ब बना हो रिपोर्ट करता हे "सॉरी सर कल शाम कुछ लोगो छीना छपटी के लिए मुझे इंजर्ड  के साथ मेरा डोक्युमेटी बेग ले गए आगर आप 2 सप्ताह का समय दे में दुवारा से डॉक्यूमेंट बनबा लूंगा प्लीज सर हेल्प अस "

ऑफिस में बैठे अधिकारी द्वारा बड़े ही दुखी स्वर में बोला गया की "मुझे बड़ा दुःख हुआ की आपके साथ ये दुर्घटना हुई बट मिस्टर तोमर एक सप्ताह वाद ट्रेनिग केम्प रिपोर्ट करना हे आज ओरिजिनल दुक्युमेंट कलेक्ट की आखिरी डेट थी और अगर आप कल तक  डॉक्यूमेंट ला सकते हे तो में आज की सारी फाइल लाक करके इमरजेंसी बताके 24 घण्टे की हेल्प कर सकता हु "
पुलिस को फोन लगाया गया उत्तर  की आशा सिफर  रही और में बापीसी हजारो किलोमीटर की यात्रा करने को दुखी मन से डिब्रुगढ़ रेलवे स्टेशन की बेंच नम्बर 24पर डायरी को लिखता रहा ।
                         
                         जितेन्द्र सिंह तोमर
21/दिसम्बर/2009
डिब्रुगढ़

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