कोई भी न्यूज हो जब तक कोई परकटि न्यूज बाली बाबू न प्रकट करे ...वह कपोल कल्पित झूठ बनकर रह जाती है !
बुद्धुबक्स के बाबू ही आजकल हमको अपडेट रखते है कि लड़को के कब पिम्पल निकलने पर कोनसा गोवर घिसना है और कब किस मौषम में कोनसे पाने से भुभडे के नट-बोल्ट टाइट करके 'थाना बाले तोतले बाबू' को पटाना है? फिर चाहे घर के अड़ियल 'लट्ठ बाले बाबू' के द्वारा दिनरात पिलने पर 61-62 दिन वैधबाबू का कोर्स ही क्यों न करना पड़े। पर तोतले बाबू को 'माताबाबू' की पूजा का अधिकार दिलाना है ।
आज का भारत देख मुझे नही लगता कि लोगो को प्रेम जैसा कुछ होता होगा बल्कि प्रतीत होता है कि सबको 'संक्रमित बाबू रोग' हो गया है और अंततः उस बाबू की याद आ जाती है जो विभिन्न सरकारी दफ्तरों में इंग्लिश पीकर मिलता है और सबकी फाइलें 'अपनी इंग्लिस' के चक्कर मे मण्डप बाली सालियों की तरह छिपाते रहता है ।जैसे 'जूता छिपाई' (सॉरी..!फाइल छिपाई) की रश्म का नैग मिला वह मोदी जी की तरह 'सीना छप्पन' करते हुए आपकी फाइल नई-दुल्हन की सुहागसेज मुह दिखाई की तरह पेस कर देगा ।
अगर मुझ जैसे निपट गंवार से पूछ लें कि, "कभी बाबुओ के चक्कर में पड़े हो?"
तो में कंहूँगा- की भाई बाबुओ से भाजपा बचाये ओर राहुल गांगी को राष्ट्रीय युवा बनाये पर कभी इन तोतले,चोर,परकटे,बाबूओ के चक्कर मे एक बार सबको घुमाए!
बाबुओं का चक्कर जब इस मृत्युलोक में पड़ता है तो मानव जीवन-मृत्यु के तमाम चक्कर भूल सिर्फ और सिर्फ 'बाबू माया' के इर्द-गिर्द चक्कर लगाता है।जन्म लेते ही जब थोड़ी समझ आती है तो घर मे प्रथमतः दर्शन होते है 'जूता बाले बाबू+जी के(सम्मान के साथ 'जी')यह एक इकलौते बाबू होते है जो आप-हम सबको अपने जूता के जोर पर सही राह दिखाते है,पर हमें शोशल मीडिया के इनबॉक्स बाले बाबुओ के चक्कर मे अपना कल्याण दिखने लगता है और ऐन मौके पर हमें वह बाबू बुलाकर अपनी वारात के स्वागत में बुत बनाकर खड़ा कर देते है। बाकी रही-सही कसर 'डीजे बाबू' ....."तू पसन्द है किसी ओर की" बजाकर पूरा कर देते है ।
इस बाबुमय विश्व मे सबसे घातक होते है बैंक बाले बाबू..!
पैसे निकालो तो ...
"विड्रॉल में एक जगह और सिग्नेचर...अबे शब्दो मे अमाउंट की स्पेलिंग सही कर!" इत्यादि की इस तरह घुड़की देते है जैसे ग्राहक खुद के पैसे नही 'केशियर बाबू' की किडनी विड्रॉल में लिख दी हो !
"बुधवार को आना पासबुक अपडेट कराने, अभी प्रिंटर मशीन की मौसी नाराज है !"
(जबकि बेचारा ग्राहक पिछले 25 बुधवारो से लगातार प्रिंटर की मौसी जी को बार-बार मना रहा होता है)
मनीजर बाबू का तो कहना ही क्या ...पूरे दिन लंच करके अपने छौना बाबू को के नखरे जो लेने है !
सबसे क्रोधाग्नि बाले होते है घर मे विधिवत 'माताबाबू' की पूजा करके सांसारिक ढंग से लाये हुए 'घूंघट बाले बाबू'! यह बाबू जब जीवन मे प्रवेश करते है लौंडो के जीवन मे हच के टॉवर लग जाते है। दिन में भगा-भगा के नही सोने देते और रात में बर्फ से ठंडे पाँव लगाकर नही जीने देते है। मटर छिलने से पँखो पर गीला कपड़ा लगवाते है और जब इनका मन हो तो 'लठ्बाले बाबू जी' के सामने रोकर बेमतलब बोनस में गजक सी कुटबा देते है !
है महादेव जी!विनय है कि तमाम तरह के बाबुओ से बचाये रखे किन्तु 'माताबाबू बाले 'ठीकरी बाबू' ओर 'पनाह बाले बाबू(जी) से सबकी बनाए रखे !
नॉट-: किसी के पास तोतला बाबू हो तो हमे समर्पित कर सकते है!
अथः सिरी बाबू कथाय प्रथमः अध्याय: नमो नमः
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