वह वांयी पंक्ति चौथी सीट थी जिसपर लड़का बैठे-बैठे प्रतीक्षा में अपनी डायरी के पेजो को तल्लीन्नता से लगातार कुछ लिख रहा था। क्योंकि बस चलने में समय था और वाकी सवारियों से उसे कोई मतलब नही था ।
एकाएक एक 5 फिट लम्बा भीनी-भीनी महक का झोंका उसके समक्ष नमूदार हुआ और उसको पता भी न लगा..!
"आपके साथ बाली सीट पर कोई है सर...अगर नही है तो मुझे विंडो सीट चाहिए!"
उसके पूछने का लहजा कुछ ऐसा था कि लड़के ने मूक रहकर ,एक ओर हटते हुए मूक सहमति में बगल खिसकते हुए उसे बैठने को....बगेर सिर ऊंचा किये जगह देकर डायरी में ही गुम रहा !!
करीब 20 मिनट उपरांत लड़के ने एक उबासी लेते हुए पुस्त से सिर टिकाते हुए आंखे बंद कर ली ...।
एकाएक गाड़ी स्टार्ट हुई और गियर गुर्राहट ने झपकी में व्यधान कर दिया ।
बाजू बैठी लड़की पर उचटती नजर डालते हुए देखा तो वह ओषत कद से कुछ छोटी एक ओषत रंग बाली जिसने ब्लू जींस के साथ फ्रॉक नुमा जॉर्जेट के साथ दोनो कंधों पर वी शेप दुपट्टा डाल रखा था जिसे भी ही महीन चतुराई के साथ पिनो से स्टेपल कर रखा था और इस यूनिक शैली का पहनावा आकर्षक लगा ।
"सर मुझे कुछ खाने को लाना है ...!"
कहते हुए लड़की ने वैनिटी से 200 की नॉट हाथों में चमकाई ओर वाहर निकलने को उद्धृत दिखी....लड़का खड़ा होकर एक ओर हट गया और उसने पहली बार 'स्लो लुइस' इत्र की चिरपरिचित महक महसूस की, वह अपने सेलफोन में शोशल मीडिया कुरेदने लगा और पुनः निमग्न होकर कभी-कभी मुश्कुरा भी रहा था कि खिड़की तरफ सिर से ऊपर कंगन युक्त हाथों में लैयज के साथ बिकानू मिक्सचर औऱ एप्पल फीज बोतल दिखी .....
"सर पकड़िए....मुझे कुछ और लेना है!"
न चाहते हुए भी हाथ मे वह तमाम खाने का सामान था और प्रतीक्षा थी कब हाथ खाली हो जाये!
कुछ ही मिनट में एक 500 ग्राम मिठाई लिए लड़की मुस्कुराती आई और यथास्थान बैठ गयी ।
"सर आप भी लीजिये न मुझे अच्छा लगेगा कि अकेले नही खाना पड़ेगा,देखिए #आपके लिए मिठाई भी लाई हुँ !"
लड़के भँवे विचारमुद्रा में सिकुड़ती गयी कि इसे कैसे पता है कि मुझे मीठा पसंद है !
उसने मुस्कुराते हुए धन्यवाद कहकर पल्ला तो झाड़ लिया पर " आपको मीठा पसंद है" बार-बार मनमशतिष्क में नाद करता रहा ।
लड़का पुनः झपकी लेने के प्रयास में पुस्त से सिर टिकाकर कर बन्द आंखों से गन्तव्य की कल्पना में बिचरन करता रहा और .....
"में ठेंगी हु लेकिन इतनी भी नही की मुझे किसी हेल्प चाहिए...मेरे घर मे सब pg है सिर्फ में ही नही "
"इसका मतलब यह नही की तुम मुझ पे सिमपेथी दिखाओ, अपनी औकात में रहो .."
"यह मत समझो कि मैने तुम्हे खुद को नापती हुई नजरो नही देखा है...रज्जू की एनिवर्सरी पर तुम मुझे वॉच कर रहे थे और ठेंगी कहकर मुझे हिरासमेन्ट कर रहे हो !"
लड़के ने उसके द्वारा 'ठेंगी' शब्द बोलने के साथ ही उसकी आंखों में सागर की लहरों के समान उमड़ती लहरों को स्पष्ट देखा और उसी स्थिति में आंखों की झिरी से उसके चेहरों पर क्रोध,कातरता के ज्वार-भाटे देखता रहा ।
करीब 15 फोन उसकी फ़ोनवार्ता में उसने लड़के के प्रति के आधुनिक शैली की गालिया भी सुनी और फोन कटने के बाद उसे फ़्फ़कते भी देखा ।
वाहन अपनी तफतार से पथ को निरतर पास करता जा रहा था ओर लड़की अपनी वेदना अथवा हीनता को अश्रुपात करके कम किये जा रही थी ।
"सॉरी !फ़ॉर डिस्टरविंग यू सर..।"
"आपने कुछ खाया नही ..टेंसन न लीजिये आपको लूटने का मेरा कोई प्लान नही है !"
लड़का हंस पडा ओर लड़की के अभिनय बाली झूठी मुस्कान का जबाब एक पीस पेड़े का उठाकर दिया ।
बाते चलती रही लड़की पूछती रही और लड़का सनझिप्त उत्तर देता रहा ...इसी बीच गन्तव्य आया और ...! लड़की बेहद खूबसूरत डायरी के साथ पेन बढाते हुए बोला !
"ऑटोग्राफ प्लीज...!"
लड़का कुछ कहता उससेपहले ही लड़की बोल उठी !
"आप जिस संजीदगी से रिस्ते उकेरते है न उतनी ही गम्भीरता से स्वम को मेंटेन भी करते है, मेने आपके कुल 5-6 आर्टिकल पढ़े है और आपकी इसी संजीदगी के साथ कलम ओर कर्म की समानता की फैन हो गयी ।"
"जितेंद्र सर! में रहती तो रीवा में हूं but आपको बस में देख आश्चर्य चकित थी और आपकी संजीदगी से आपके साथ बैठने खाने के कुछ पल मिले !"
"कभी रीवा आइये, में उधर ही रहती हूं !"
मेरी रास्ते भर की विचार गुत्थी उसने एक पल में सुलझा कर "आभार" बोलते हुए डायरी-पेन लिया और ....एक विनय,आदेश,आग्रह मुझे समझ नही आया क्या था कि वह स्वम को 'अ'सफल न लिखने की बोलकर अंकभर सिमट गई ।
मेरे पहले किसी लिए हस्ताक्षर करते हाथ कम्पित थे और उसका नाम कुछ अस्पष्ट था ..
'सुनिधि मानव एकाएक भेंट!"
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जितेन्द्र सिंह तौमर '५२से'
कानपुर उप्र .
रविवार, 8 नवंबर 2020
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