मंगलवार, 15 दिसंबर 2020

अजब शौकीन दशयु

#शौकीन_बागी/दस्यु/डकैत

"शौख बड़ी चीज है..!"
किसी उत्पातन की यह चन्द पंक्तिया जैसे ढाई आखर की इश्किया भावनाओ सम्पूर्ण मूर्तिरूप देती हुई सी प्रतीत होती है।शौख और शोखी जब   कहि जाकर संगम करती है तब कहि जाकर एक  शोखिया किबदन्ति बनती है,जैसे प्रशिद्ध अभिनेता स्व. राजकुमार हर किसी को अपनी रील और रियल जिंदगी में "जानी" बोलकर सम्बोधित किया करते थे ...जबकि उनके कुत्ते का नाम जानी था !
कुछ ऐसा ही अजीबो-गरीब किस्सा हमारे बीहड़ के पूर्व दस्युओं का था,अपनी-अपनी पसंद की सनक और वह भी इतनी आश्चर्यपूर्ण की विश्वास ही न हो...किन्तु यह एक ऐसा सत्य है जो कंही बीहड़ो में गुम हो गया अथवा बीहड़ो में ही दफन है ।

ददुआ मानसिंह राठौर-
आजादी से पहले ओर आजादी के बाद का एक ऐसा बागी जिसके नाम कितने अंलकार है और मन्दिर में किसी देव नही बागी सम्राट को देवता की तरह पूजा जाता है.कहते है कि इन्हें विवाहों में भात(मामेलापक्ष की रश्म) भरने का बड़ा शौख था जो इनके जीवन मे भक्त नरसी की नोट नक़ी देख लगा था और अपने पूरे बीहडी जीवन हजारो भात भरे व लड़कियों के कन्यादान लिए ।

माधो सिंह भदौरिया -
एक ऐसा बीहड़ी किरदार जिसका जीवन ही सेकड़ो किरदारो का रोल अदा करते हुए निकला एक सैनिक, डॉक्टर,मास्टर ओर जादूगर के करतब दिखाने बाला बागी रीयल दुनिया से रिल दुनिया मे भी अपना किरदार खुद बना। इसके साथ ही इन्हें गाना-गीत बजाने सुनने का शोख था ,माधोसिंह के गैंग प्रायः लोकगीत ओर फिल्मी गीत अपहरण करके लाये लोगो से सुनते थे व उन्हें इनाम स्वरूप रुपये भी दिया करते थे। एक वाकये अनुसार 50 हजार मोटी रकम की पकड़ का गीत सुनकर 1100 पुरुष्कार देकर उन्हें ऐसे ही छोड़ दिया था ।कहते है कि माधो आंखों पर पट्टी बांध मिर्च को गोली फोड़ दिया करते थे ।

मोहर सिंह-मलखान सिंह-
बीहड़ी अपराध इतिहास में इन्हें 2M बोला जाता  है इन्होंने भी रियल  से रील दुनिया तक का सफर तय किया,पर इन्हें शोख था 3 राजपुताना रेजिमेंट की तरह बड़ी बड़ी रोबीली मुछे रखने का..लोग कहते है कि इनकी मुच्चो में रोज पौआ -पौआ घी लगा करता था !रमेश सिकरवार,हरिसिंह,टुंडा आदि भी मुच्छड़ दशयु थे ।

छिद्दा-माखन-
डायलोगों की दुनिया के जीवंत किरदार छिद्दा-माखन ममेरे-फुफेरे भाई थे और बचपन सहपाठी के साथ जीवन के साथी भी थे ...यह बचपन परस्पर प्रशन्नता की कुशलक्षेम "साहिब सलाम" बोलकर लिया करते थे।इनदोनो को दो जिस्म एक जान ओर अपनी सेकेंडो में लांगुरिया लोकगीत बनाने की अद्भुत शोख थी ..कहते है कि माखन महाभारत का पूरा विवरण इन लोकेगीतो में गा दिया करता था तो छिद्दा के बगेर वह कभी गा नही पाते थे ..असल मे माखन की मौत छिद्दा को जब पता चली जब "साहिब सलाम" का प्रतिउत्तर नही मिला था !

मध्यप्रदेश में चंबल के बीहड़ों में पनपने वाले दस्यु गिरोह के कई सरगना अपने अजीबोगरीब शौक के कारण दंत कथाओं के पात्रों की तरह हमेशा चर्चित रहे हैं।इनमें से कुछ दस्यु गिरोह शिवपुरी जिले के जंगलों में सक्रिय रहे हैं। आजादी के पूर्व कुख्यात दस्यु सरगना टुन्डा अपने साथियों के साथ एक आकर्षक जलप्रपात पर रहता था इसलिए यह स्थान उसके नाम से 'टुन्डा भरखा खो' के नाम से जाना जाने लगा। शिवपुरी के पास घने जंगल में स्थित यह स्थल अब प्रसिद्ध पर्यटक स्थल बन गया है।

पचास से साठ के दशक में भी शिवपुरी के जंगलों में कुख्यात डाकू सरदार अमृतलाल अपने गिरोह के साथ सक्रिय रहा... अमृतलाल ने लोगों का अपहरण करके उनसे फिरौती वसूलने की शुरुआत की थी जो आज के डकैत गिरोह भी कर रहे हैं।इसे अजीव तरह लोगो वेवकूफ बनाने का शोख था..ओर यह वहसी तरीके महिलाओ के कान फाड़कर कुंडल खींचने सायको शौकीन था।डाकू सरदार अमृतलाल के बारे में क्षेत्र के बुजुर्गों में चर्चा रहती है कि वह एक से सवा लाख रुपए की फिरौती उस समय भी लेने की सनक से ग्रसित था, जबकि उस जमाने में यह बहुत ही बडी रकम होती थी।

हरीसिंह को लोंगों की नाक काटने की सनक थी। जब वह किसी से भिड़ता तो सबसे पहले उसकी नाक काटने से नहीं चूकता था।उसने कई नागरिकों व ठसक बाले लोगो साथ-साथ पुलिस बालो की भी नाक पर हाथ साफ  किया था ।

कालांतर में यहाँ के जंगलों में दयाराम, रामबाबू गडरिया, हजरत रावत, कमल सिंह जैसे खूँखार दस्यु गिरोह सक्रिय हो गए, जिनमें सबसे ज्यादा खतरनाक इनामी एवं चर्चित दयाराम रामबाबू गडरिया गिरोह था।
रामबाबू और दयाराम को देशी घी खाने और अपहृतों को खिलाने का शौक था। वे घी के इतने दीवाने थे कि अपनी बंदूकों की सफाई भी तेल की जगह घी से किया करते थे..!
इस गिरोह में रामबाबू सबसे ज्यादा क्रोधी और सनकी था। जब किसी अपहृत की फिरौती समय पर नहीं पहुँच पाती तो यह उसे गोली मारने को सबसे ज्यादा उतावला रहता था।
दयाराम और रामबाबू के बारे में कहा जाता है कि उन्हें एक हजार एवं पाँच सौ रुपए के नोटों और सोने के आभूषण से लगाव था और वे अपने साथ हमेशा बड़ी राशि रखते थे ...।

#चम्बल_सिंह_अबलोकन

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जितेंद्र सिंह तौमर '५२से'
चम्बल मुरैना मप्र.

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