रविवार, 6 जनवरी 2019

यादो में रेडियो

==रेडियो 'प्रसार भारती'==
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कुछ वर्षो पूर्व बचपन की सुहानी यादो बाली 'चवन्नी' प्रचलन से बाहर हुई थी,मानो दादाजी-नाना जी की जेव से मिलने बाला बो स्नेहमाध्यम हमसे छीन लिया गया था ।
कभी-कभी मूल्य नहीं देयस्नेह से जुडी स्मरणिकाये बहुमूल्य होती हे।और ऐसा कुछ अभी कल भी गुजरा जब प्रसारभारती के "आकाशवाणी" की मधुर ध्वनि खामोस होने की बात विदित हुई ।
बम्बई और कोलकाता में दो निजी ट्रांसमीटरों द्वारा सन 1927 को जब ब्रितानी काल में इसकी नीव रखी गयी थी।तो कोई नहीं जानता था कि मनुष्य जीवन की तरह इसका भी हाल होगा ।
एक समय रेडियो का अपना जलवा हुआ करता था किन्तु "'योवन' में ठहराव हो सकता चिरस्थायित्व नहीं।" बाली कहावत इस सप्तरंगी श्रवण माध्यम पर भी लागू हो गयी और अपनी लगभग 82 वर्षीय अवस्था केसाथ (8 जून 1936 से) अपनी 430 प्रसारण केंद्रीय,23 भाषाओ,नजदीकी 92% देशो की पहुच और देशव्यापी 99.12 ℅ बाला "बहुजन हिताय-बहुजन सुखाय" माध्यम विदा ले गया ।

भोर ही भोर "वन्देमातरम" की वन्दना से "रामचरित मानस" तक स्वर लहरिया एकाएक बन्द हो गयी।कितने ही आवाज की दुनिया के सितारों से यु बिछड़ना हो गया!'आल इण्डिया रेडियो की उर्दू सेवा"बाले रियाज खान जी की वो खरखराती आवाज से जब दोपहर में 01:40 बजे सुनाई पड़ता था,"कार्यक्रम जवानो के लिए" जो जेसे 'बारम्बारता' वाई सुई यथास्थान जड़वत हो जाती थी ..!
अमीन सयानी और विविधभारती की युगलता को कोन भूल सकता हे।जब नगमो में नगीना खोजना 'विनाका गीतमाला' से खोजा जाता था ।
विविध भारती के 'हवामहल' में अगर आपने "जयपुर बाली ट्रेन" हास्यनाटक नहीं सूना तो शायद आप आज की 'बुद्धुबक्स' बाली भोंडी नँगयी बाली डेली शो पर हंस सकते हो ।

रेडियो से मेरा सम्बन्ध उस समय हुआ था जब करीव 7 वर्ष का होऊंगा।पिताजी के साथ बीबीसी रेडियो  और विविधभारती सुनना जेसे आज की शोशल एक्टिविटीज की तरह ही निरन्तर था।गुजरे समय में भैया-भावी द्वारा जन्मदिवस पर भेंट मिला फिलिप्स का 3बेंड बाला छुटकू रेडियो जेसे उन दिनों अपना सच्चा साथी हुआ करता था ।

एक सुखद और स्वस्थ मनोरंजन के साथ बीबीसी का "विज्ञान और विकाश" कोतूहल पैदा करता था तो विश्वविद्यालयी दिवसो में क्रिकेट कमेंट्री सुनने का जमघट भी हुआ करता था..!
'विनीत गर्ग-प्रकाश वांगड़ेकर'   कमेंटेटर जेसे स्वरों से दृश्यचित्र और वाल दर बढ़ती हृदयगति को रोक देते थे ।

समय बदला...! प्रसारण-मनोरंजन,संचार क्षेत्र में टीव्ही(बुद्धुबक्स) के कई चैनल और 'कुतका' से बदलते कार्यक्रमों ने 'एक बाल मित्र' से दुरिया बढ़ा दी ....किन्तु इंटरनेट और 2 जी बेंड पर भी चलती 'प्रसारभारती' एप से कल तक जुड़ा हुआ था।फिर चाहे आप मुझे "ओल्ड थिंकिंग वॉय" कहो या 'ओल्ड इज गोल्ड' ...!

आकाशवाणी और उसके 5 प्रशिक्षण केन्द्रो का बन्द होना हम सभी लापरवाही ही हे।क्यों की हमारे Jitendra दादा ने कल ही कहा था की "सुनता ही कौन हे!"
वास्तविकता में हम 'प्रसार भारती नहीं 82 वर्षीय "बहुजन हिताय-बहुजन सुखाय" बाली एक बुजुर्ग की दिग्दर्शक - मार्गदर्शिका को खो बेठे .....

बचपन की यादो बाली चवन्नी और किशोर-युवा वय बाली "आकाशवाणी" आप बहुत याद आओगी।फिर दिवाली पर पुनः नजर आये छुटकू 'फिलिप्स' को देख  आँखे सजल हुई हो अथवा चवन्नी बाली 'चटर-पटर'पर जंग लगी हुई मिली स्वर्णिम यादे पुनः दृस्तिपटल पर सचित्र हुई हो .....

अलविदा ........
"बहुजन हिताय-बहुजन सुखाय!"
प्रसार-भारती.....
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जितेन्द्र सिंह तोमर'५२से'

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