बुधवार, 31 जनवरी 2018

◆कथा कूप◆

इस दुनिया में कर्म को मानने वाले लोग कहतेहैं भाग्य कुछ नहीं होता। और भाग्यवादी लोगकहते हैं किस्मत में जो कुछ लिखा होगा वही होके रहेगा। यानी इंसान कर्म और भाग्य इन दो बिंदुओं की धूरी पर घूमता रहता है। और एक दिन इस जग को अलविदा कहकर चला जाता है।

भाग्य और कर्म को बेहतर से समझने के लिए पुराणों में एक कहानी का उल्लेख मिलता है।

एक बार देवर्षि नारद जी वैकुंठधाम गए, वहां उन्होंने भगवान विष्णु का नमन किया। नारद जी ने श्रीहरि से कहा, 'प्रभु! पृथ्वी पर अब आपका प्रभाव कम हो रहा है। धर्म पर चलने वालों को कोई अच्छा फल नहीं मिल रहा, जो पापकर रहे हैं उनका भला हो रहा है।
'तब श्रीहरि ने कहा, 'ऐसा नहीं है देवर्षि, जोभी हो रहा है सब नियति के जरिए हो रहा है।'नारद बोले, मैं तो देखकर आ रहा हूं, पापियों को अच्छा फल मिल रहा है और भला करने वाले, धर्म के रास्ते पर चलने वाले लोगों को बुराफल मिल रहा है।भगवान ने कहा, कोई ऐसी घटना बताओ।

नारद ने कहा अभी मैं एक जंगल से आ रहा हूं, वहां एक गाय दलदल में फंसी हुई थी। कोई उसे बचाने वाला नहीं था। तभी एक चोर उधर से गुजरा, गायको फंसा हुआ देखकर भी नहीं रुका, वह उस पर पैर रखकर दलदल लांघकर निकल गया। आगे जाकर चोर को सोने की मोहरों से भरी एक थैली मिली।
थोड़ी देर बाद वहां से एक वृद्ध साधु गुजरा। उसने उस गाय को बचाने की पूरी कोशिशकी। पूरे शरीर का जोर लगाकर उस गाय को बचा लिया लेकिन मैंने देखा कि गाय को दलदल से निकालने के बाद वह साधु आगे गया तो एक गड्ढे में गिर गया। प्रभु! बताइए यह कौन सा न्याय है?
नारद जी की बात सुन लेने के बाद प्रभु बोले,'यह सही ही हुआ।
जो चोर गाय पर पैर रखकर भाग गया था, उसकी किस्मत में तो एक खजाना था लेकिन उसके इस पाप के कारण उसे केवल कुछ मोहरें ही मिलीं।वहीं, उस साधु को गड्ढे में इसलिए गिरना पड़ा क्योंकि उसके भाग्य में मृत्यु लिखी थी लेकिन गाय के बचाने के कारण उसके पुण्य बढ़ गए और उसे मृत्यु एक छोटी सी चोट में बदल गई।

इंसान के कर्म से उसका भाग्य तय होता है।
इंसान को कर्म करते रहना चाहिए, क्योंकि कर्म से भाग्य बदला जा सकता है।
                  

सोमवार, 29 जनवरी 2018

●शुभस्य मङ्गलम्●


==मङ्गलम् प्रभातम्==         
1.इतने भारी शरीर वाला हाथी छोटे से अंकुश सा वश में किया जाता है। सब जानते हैं की अंकुश परिमाण में हाथीसे बहुत छोटा होता है.।
प्रज्जवलित दीपक आसपास अंधकार को ख़त्म कर देता है। जबकि परिमाण में अन्धकार तो दीपक से कहीं अधिक विस्तृत एवं व्यापक होता है।
वज्र के प्रभाव से बडे-बडे पर्वत टूट जाते हैं। जबकि वज्र पर्वत से बहुत छोटा होता है।
आचार्य चाणक्य के इस कथन से आशय यह है की अंकुश से इतने बडे हाथी को बाँधना, छोटे से वज्र से विशाल एवं उन्मत पर्वतों का टूटना, इतने घने अन्धकारका छोटे से प्रज्जवलित दीपक से समाप्त हो जाना। इसी सत्य के प्रमाण है की तेज ओज की ही विजय होती है। तेज में ही अधिक शक्ति होती है।

२.जिस प्राणी के पास बुद्धि है उसके पास सभी तरह का बल भी है। वह सभी कठिन परिस्थितियों का मुकाबला सहजता से करते हुए उस पर विजय पा लेता है।
बुद्धिहीन का बल भी निरर्थक है, क्योंकि वह उसका उपयोग ही नहीं कर पता, बुद्धि के बल पर ही के छोटे से जीव खरगोश ने महाबली सिंह को कुएँ में गिराकर मार डाला।यह उसकी बुद्धि के बल पर ही संभव हो सका।

३.यह एक कटु सच्चाई है की किसी भी ढंगसे समझाने पर भी कोई दुष्ट सज्जन नहीं बन जाता, जैसे घी-दूध से सींचा गया, नीम का वृक्ष मीठा नहीं हो जाता ।

          -जितेन्द्र सिंह तोमर'५२से'

रविवार, 28 जनवरी 2018

◆श्रंगार सृजन◆

#शर्माते_हुए_श्रृंगार।।।
पहली बार चली है कलम
किसी के होठों के लिए
किसी की हरकती ज़ुल्फो के लिए
किसी के रुख़सारो की रंगत के लिए
ओर श्रृंगार की संगत के लिए।।।।

तू रात है चाँदनी मैं चाँद उस रात का।
तू खुशबू माटी की मैं पानी बरसात का।
कब आएगा वो पल मुलाकात का।

जगमगायेगा अम्बर जब रोशनी से।
चाँद सा मुखड़ा देखूँ जब ओढ़नी से।

लवो के थिरकने की आवाज़ सुनना।
दिलों में मोहब्बत का आगाज़ सुनना।

उनके पलको के गिरने का एहसास होगा।
उनका शर्मों से घिरने का आभास होगा।

रुख़सारो पे लाली यूं छाती रहेगी।
गीत कानों की बाली भी गाती रहेगी।

समेटेगी जुल्फे नज़रो को हमारी।

★क्या हम गुंडा हे!★


मेरे बोलने से फेसबुक पर मुह खोलने से क्या हो रहा है।
माँ ने किया दोबारा जौहर बस खूँ ख़ोल रहा है।

खिलजी बनकर भंसाली अब पैसे तौल रहा है।
गोरा बैठा पकड़े खूंटी बादल माथा फोड़ रहा।

राजपूत लड़ो आपस मे घमंड तुम्हारा तुमको तोड़ रहा।
राणा प्रताप तुम मूरख थे क्यों घास की रोटी खाई तुमने।
माटी माटी चिल्लाते तुम आज तुम्हारी नाक कटाईहमने।

राजपूत के गिरे रक्त का कर्जा यही चुकाया है।
भले घराने के बेटों को गुंडा आज बताया है।

'बिस्मिल' तुम भी गुंडे थे जो काकोरी की गाड़ी लूटी थी।
शैतान सिंह भाटी गुंडा था जिसने चीनी सेना कूटी थी।

सेना की गुंडा कोर डटी है भले मानस की रक्षा करने को।

अरे डूब मरो भारत के लोगो जो गुंडों से रक्षा लेते हो।
शासन करने वाली शक्ति नेताओ का कुतबा पड़ती है।
नेताओ की चमचागिरी रजपूती समसीरें करती है।

स्वाभिमान को जगा लो मित्रो रोटी घास की खालो मित्रों।
अब तो जुड़कर एक बनो रजपूती शान संभालो मित्रों।

अब तो समझो साजिश को जो सरकारें रचती आई है।
हमको हमसे अलग किया नफरत भरती आई है।

कसम खाओ अब तुम माता की आपस मे ना झगड़ा होगा।
मिलकर अगला प्रहार करेंगे जिसका जख्म भी तंगड़ा होगा।

विनती करता 'बिस्मिल' रजपूती अमीर घरानों से।
गौरवशाली फ़िल्म बनाओ पैसा लगाओ खजानों से।

किये धर्म जो क्षत्रिय ने व्यक्त करो इस भारत को।
मिलावटी इतिहासों से मुक्त करो इस भारत को।।
#बिस्मिल।।।

शनिवार, 6 जनवरी 2018

टें का टोटका

              ==टेग का टोटका==
#पूरा_पढ़े_बिना_त्वरित_प्रतिक्रिया_न_दे
प्राय देखा गया हे की मित्रजन टेग का टोटका करते हे। टोटका भी बड़ा धांसू वैरायथि से ओत-प्रोत होता हे।
आई ऍम अलोन बिथ 176 ऑथर ....!
ऐसे बन्दूओ को आप तांत्रिक समझ बोल सकते हे,जो शोशल मिडिया को वलिवेदि बना कर 176 लोगो की "टें" करने से नहीं हिचकते।
अमावस जेसी डीपी के दुर्योग के बनते सुनसान भुतहा वाल पर 'nice one' चैंप -चैंप कर इस टोटके में गाहे-बगाहे जो नोटिफिकेसन की आत्माए हमला बोल देती हे। बड़ा भयानक डर झुरझुरी बनकर बाल खड़े कर देता हे जब टोतकाधीश रिप्लाय में एक और शुक्ष्मजन्तु जगत का टोना करते हे और बो टोना होता हे 'tysm' !
समझ नहीं आता हाथो में दशो उंगलिया होते हुए भी तांत्रिक महोदय उत्सर्जन तन्त्र से कोई 'सुरसुरी ' न छोड़ रहे ! अथवा "टै" का टोटका निष्प्रभावी होते देख कोई डायन ढील रहे हे?
बेसे ये "टै" कभी-कभी बड़ा सुखदाई हो जाता हे जेसे वर्ष में एकबार आता दिनांक विशेष दिवस जब आपको लगभग 32%लोगो का किया गया टोटका बड़ा सुखदाई प्रतीत होता हे। जब बिना कुछ किये धरे अतियोक्ति से पूर्ण शुभकामनाये-बधाईया एक अद्वितीय लोक में विचरण करवा देती हे।
मतबल यहां टोटका मेसन की नीबू-मिर्ची हे से किया जाएगा अगर सुयोग हुआ तो आपको केक,फूल,पार्टि इत्यादि के द्वारा मानसिक लोक गमन भी भी प्राप्त हो सकता हे।
मष्तिष्क के वायुविकार उस समय डावर हिंगोली खाकर उस रेल इंजिन की तरह एकाएक धूम,धड़ाम,बूम,बडाम करने लगेंगे जब कोई एंजल प्रिया अथवा इश्कजादा 'केसी लग रही हु"/कैसा लग रहा हु " कैप्सन देकर बतख की तरह मुह बना कर 176 दुसरो के साथ "टें"(मुंडी काटना) कर दिया जाता हे ।
अब आते हे 'टें करने' के 'राजसु यज्ञ' में प्रयुक्त आपकी मझमाँ सरकार के प्रति के देशभक्ति का प्रमाणपत्र लेने के लिए मची होड़ के धूल रहित अखाड़े में की कुश्ती में चित्त करने को लेकर।
यहां आपको बिधिवत एक तरीके से ग्रुप में टांग कर "टें का टोटका" रोज होगा। कितने भोट किधर गए ,कोनसा #लेता  देश की कितने सालो से ले रहा हे (धूल) सब पर एक एक टोटकाधिकारी 'बिन पगार स्वराज अधिकार' करता मिलेगा। धर्म के नाम पर सबसे बड़ा कालाजादू इसी मझहवि शिद्ध-पैंठ में होता हे। तरह-तरह कालाजादू,पीलाजादु,नीलाजादु लिए हुए सुरखाव 'कॉपी-पेस्ट' किरांति के बलबूते देश में 'अप्रैल फूल' खिलाते मिल जाएंगे।
आपकी जरा सी निष्पक्षय राय को वामपंथी,झांपन्ति, लिवरंडु,चिकलांडू,सुषुप्तशोषि मानव ,कूप-मण्डूप जेसे विष-अमृत करते अनलंकारो से शुशोभित किया जाएगा ।

अवे चूल्हे के चुतियो तुम्हे अक्ल न आएगी सब कुछ देखते हुए भी अदृश्यत रहने की बिमारी ने ही तुम्हारा दशको से चुतिया कटा हुआ हे। लेती-लेता बरगलाते रहेंगे कभी किसी विवाद पर ,कभी किसी अवसाद पर। मुख्यतः संसद में 'टोटकाधीस' ही सुनियोजित तरीके से विसाद फैलाते हे ।जो सही होता हे उसे सबसे पहले जेल में पैला जाता हे । मुद्दा आज भी वो ही मुह खोले खड़े हे लेता-लेती आज भी चुतर से चुतर जोड़े खड़े हे। दाम और चाम की चाह की खाजनीति में तुम सबका "टें" टोटका पूर्व नियत हे तुम छोटे छोटे 'टेग टोटके ' करके उनके लिए भोट बटोर रहे हो और बो तुम्हारी "टैं" करने न चूकेंगे ।

आज किसको नहीं पता की जातिगत आरक्षण का "नीला जादू" देश की दुर्गति में 'सिहर-ऐ-कोहराम' बना हुआ हे !
‌फिर भोट के लिए इसका प्रतिशत अंग्रेजो का तमबू बना हुआ हे जिसकी दृश्य अवलौकिकता भले ही न्यून हो किन्तु खिंचाव सर्व व्यापी होगया ।
‌हा तो बात "टें" के टोटके की थी ।हास्यस्पद से चला टें का टोटका पता न चला कब खाजनेटिक सिहरे कोहराम जादू बन जाए ।

‌अब सोचता हु इस फिसड्डी लेख पर 176 अदर का टोटका ही कर डालू क्यों की न्यूटन बाबा का 'क्रिया के बिपरीत प्रतिक्रिया ' बाला सूत्र इधर आकर जीरो बटा सन्नाटा प्रतीत होता हे। और बाल एक भुतहा खण्डर की मानिंद फकक सियाह  हु..ह्ह्ह........हु....हु करती हुई । बस कमी हे अर्ध रात्रि डायनों के नृत्य की ....
‌              
‌            शेष  .......   
‌   धरती माँ का बजन सम्भाले हुए हे ।
‌jstomarghar.blogspot.in
06/01/2018.     14:18

राजा भलभद्र सिंह 'चहलारी'

यथोचित प्रणाम।  जो शहीद हुये है उनकी...... 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में,  अंग्रेजों के खिलाफ बहराइच जिले में रेठ नदी के तट पर एक निर...