मंगलवार, 22 अगस्त 2017

स्थानीय लोकक्तिय भविष्य दर्पण

==एक लोकोक्ति==
आलस नींद किसान को खोवे ,त्रिया खोवे हांसी !
छल कपट मित्रता खोवे ,चोर को खोवे खांसी !!
अति प्रेम प्रेयसि डुबे, टका व्याज ले सन्यासी ।।

भावार्थ-:
किसान को आलस ,नींद जेसे विकारो से दूर रहना चाहिए क्यों की कृषि कार्य में नियत समय से पिछड़ा हुआ किसान कभी उत्तम फसलोत्पादन नहीं कर सकता ।
जबकि स्त्रीयो को सामूहिक हास परिहास से दुरी रखनी चाहिए ,अगर स्त्री बहुत ज्यादा हँसोड़ प्रवर्ति की हे निश्चित ही उसके चरित्र पर समाज शन्देह करता हे ।
वाही चोर को अगर खांसी हो जाए बो निश्चित पकड़ा जाएगा और दण्ड का भागी होगा ।

मित्रता में छल प्रपञ्च कपट झूट इत्यादि महाविकार बाधक हे ।
मित्रता में चक्रीय गति धुरी सत्य,विश्वासः और आत्मसात सुदृन्ता पर ही निर्भर आपका कण मात्र अविश्वास मित्र को खो बैठेगा ।

सीमा से ऊपर किया गया प्रेम भार्या के प्रति आपका प्रेम आपको आपके बन्धु बान्धवो से  दूर कर देगा इसीलिए पत्नी की बातो पर सदैव विश्वासः न करके स्वम भी जानकारी लेते रहे ।
बही अगर साधुओ को मुद्रा और ब्याज से स्नेह हो संन्यास जाता रहेगा और दुर्गति निश्चित हे ।

जितेन्द्र सिंह तोमर

रेडियो मिर्ची से

==राजेश का फेसबुक==
   ●किस्सा आज का●
महंगे सेलफोन की एकाएक वाइब्रेट से चिहुके राकेश ने पॉकेट में हाथ डाल के सेलफोन निकाला .....
किसी परचित स्थानीय लैंडलाइन के अपरचित उभरे हुए नम्बरो ने मोबाइल स्क्रीन के साथ चेहरे के रंग बदल लिए ...
रिसीव क्लिक और चिरपरिचित तल्ख अंदाज भरे स्वर में "यस आई एम् राजेस हेअर "।
दूसरी तरफ से एक स्त्री के मधुर स्वर "नमस्कार राजेश जी में आपके बच्चे के स्कुल लिटिल फ्लावर्स की रिसेप्सनिस्ट सरला बोल रही हु "।
"सर ...
हमने अपने स्टूडेंट्स की प्रोग्रेसिविटी के लिए  एक ट्रिक निकाली हे जिसमे हम ओनलाइन पेरेंट्स के सामने बच्चों से प्रशन्न करेंगे जिससे गार्डियंस के सामने ही स्टूडेंट्स की प्रोग्रेस और सारपनेस को कैलकुलेट किया जा सके "
"क्या आप अनुमति देंगे ताकि में काल को क्लासरूम में ट्रांसफर कर सकु "?
"यस व्हाई नॉट थिस वन्डरफुल थॉट प्लीज कॉन्फ्रेंस बिथ उस " राजेस बड़ी ततपरता से जवाब दे गया !
पिन पोंग पिंग पांग ....कुछ डायलिंग वॉइस के साथ काल कनेक्ट हुई ....:
रिसीवर से आवाज आती हे "ललित से प्रशन्न किया जाए ।"
"नहीं रहने दीजिये ललित को बो कोई उत्तर न दे पायेगा ,पहले से कमजोर हे ,शार्पनेस लेबल बहुत वीक हे उस बच्चे का" (किसी दूसरे टीचर के भारी स्वर )
कोई लेडी टीचर पुनः आग्रह करती हे "एक बार सर बात तो कीजिये ललित को एक्जमीन किये बगैर 'ललित' यु अयोग्य घोसित करना क्या ठीक हे ?
बेसे भी उसके डेड ऑनलाइन हे सर"!!

"में इस स्कुल का ट्रस्टी हु जो चाहे करु आपको क्या मतलब ?मेडम मेने एक बार बोल दिया न की ललित फ़ैल तो फ़ैल ...फिर कोई भी ऑनलाइन क्यों न हो इससे मुझे क्या ..(वही भारी और तेज स्वर )
राजेस एक दम से क्रोधित होते हुए " व्हाट द हैल मिस्टर ....ट्रस्टी आपने मेरे लड़के को बगैर एक्जमीन किये फ़ैल कर दिया ..!!
इस तरह तो मेरे बच्चे का कॉन्फिडेंट लेवल कम हो जाएगा ...शर्पनेस को छोडो बो होपलेस हो सकता हे ...शायद कुंठा ग्रस्त भी हो जाए और आगे कभी बड़ न पायेगा ....ये कैसा बेहुदा मजाक हे ...आप मुझे सुन रहे हे न ......!!"

प्रतिउत्तर में वही भारी स्वर " क्या मिस्टर राजेस जब बोल दिया तो बोल दिया में आपके लड़के का चेहरा देख के बता सकता हु "
राजेश :- व्हाट इज जोक मिस्टर ट्रस्टी आप बगैर प्रेक्टिकल के इस तरह का डिसीजन कैसे ले सकते हे .....परफॉर्म तो करने दीजिये उसे फिर कोई डिसीजन लीजिये ओवर स्मार्ट न बनिए में पैसे देता हु कोई फ्री नहीं पढ़वाता आपके स्कुल में समझे ?

भारी स्वर :- क्या ....क्या बोले में आपके बच्चे का क्या डाउन कर रहा हु ...?
रिपीट वन्स अगेन ...।
राजेश ने अपने पूर्व बोले शब्द  मोरल,कॉन्फिडेंट,शार्पनेस इत्यादि दोहरा दिए ।

भारी स्वर - सर ये आपका बच्चा हे और आप कितने कॉंफिडेंटल तरीके से उसका सपोर्ट कर रहे जबकि देश के हजारो बेटे सीमा पर दुश्मनो के सामने सीना ताने खड़े हे सर्दी हो गर्मी हो वरसात हो उन्हें फर्क नहीं उनमे आपको लड़ने की क्षमता नहीं दिखती क्या ...?
अरे सर आप रोज शोशल मिडिया पर ज्ञानवाणी करते हो की भारत की सैना यहां कमजोर....
,वहा कमजोर कैग की रिपोर्ट 10 दिन का अम्युनेशन.....
चीन के पास अला बला हथियार हमारे सेनिक लड़ नहीं सकते .....हार जाएंगे 
आप क्या करते हे रोज 5 किलोमीटर लम्बी ज्ञानवाणी करके .....?
देश के बेटो का कॉन्फिडेंट कम नहीं होता क्या ?
बो खड़े मोत के सामने मोत बनकर और आप उन्हें नकारा सावित करने पर तुले हो ....
गजब ज्ञान तो तब देते हो जब रिप्लाई कोई अकाट्य तर्क देता हे और आप ब्लॉक करते हो आखिर क्यों ....?
अगर जरा सी भी भारतीयता जीवित हे तो उत्साह वर्धन करिये ।आपको याद हो मेजर शैतान सिंह जी और उनकी 116 वीरो की छोटी सी टुकड़ी ने इसी चीन के लगभग 1300 दुश्मनो को कम हथियार अतिअल्प वुनियादि सुविधाओ के अभाव में काट डाला था ।
जसमन्त सिंह जी ने तो अकेले ही 72 घण्टे चीन को एक इंच तक आगे न बढ़ने दिया था ।
श्रीमान सिर्फ चाइना के मोबाइल और उत्पाद खरीदने का शोशल मीडियाई विरोध से देश प्रखर  नहीं बनता  फेसबुकिये मठा बन कर स्वम्भू होकर नहीं देश हिट में लिखिए और कर कर्म करिये ।
और जानकारी में बता दू तुझे ये कोई स्कुल नहीं, तेरे फेसबुकी फ्रेंड का परिवार हे जो तेरी आँखे खोलने के लिए ये नाटक करना पढ़ा ।

क्षमा चाहूँगा मित्र .....!!
आज आपने सत्यता से परिचित करा दिया और मेरी आँखों पर चढे फेसबुकी परवान का चस्मा उतार दिया .....कल परसो योगी जी पर लिखे गए शब्दों के लिए भी क्षमा चाहूँगा जो उनको हत्यारा लिख रहा था ।
बहुत आभार आपका प्रिय मित्र नम्बर दीजिये आपसे मिलना हे (राजेश के विशुद्ध हिंदी शब्द के बाद उसका बो अकाउंट बन्द हे )
शायद  पुनर्जन्म हो ............इसलिए

~जितेन्द्र सिंह तोमर '५२ से'

रामप्रसाद सिंह तोमर 'बिस्मिल' जी

★याद ऐ बिस्मिल★
अरूजे कामयाबी पर कभी तो हिन्दुस्तां होगा ।
रिहा सैयाद के हाथों से अपना आशियां होगा ।।

चखायेगे मजा बरबादिये गुलशन का गुलची को ।
बहार आयेगी उस दिन जब कि अपना बागवां होगा ।।

वतन की आबरू का पास देखें कौन करता है ।
सुना है आज मकतल में हमारा इम्तहां होगा ।।

जुदा मत हो मेरे पहलू से ऐ दर्दें वतन हरगिज ।
न जाने बाद मुर्दन मैं कहां.. और तू कहां होगा ।।

यह आये दिन को छेड़ अच्छी नहीं ऐ खंजरे कातिल !
बता कब फैसला उनके हमारे दरमियां होगा ।।

शहीदों की चिताओं पर जुड़ेगें हर बरस मेले ।
वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा ।।

इलाही वह भी दिन होगा जब अपना राज्य देखेंगे ।
जब अपनी ही जमीं होगी और अपना आसमां होगा ।

रामप्रसाद 'बिस्मिल' जी

धुंदली यादे डायरी से

अब तुम रूठते नहीं
अब तुम रूठते नहीं हो.....
और मैं मनाता नहीं,
तुम तोड़ते नही
मैं भी अब रेत के घरोंदें बनाता नहीं।
वक्त था गुजर गया
एक भी लम्हा वापस आता नहीं।
इस रात से उस रात तक
लड़ने की बातेंजाग-जाग कर।
चांद के सहारे छोटी छोटी सी
मुलाकातें रात भी आती है।
चांद भी दिखता हैआवारा सा
अब वो मुस्कुराता नहीं हैं।
आग थी सो बुझ गयी
राख से कोई दिया जलाता नही।

(बस यु ही कभी कभी डायरी के पन्नों से )

नेतिक शिक्षा जो माँ से मिली

==चरित्र निर्माण==
एक किशोरवय बालक अपने बुजुर्ग से कह रहा था
- 'दादा, आज मां ने मुझसे कहा कि मुझे भी अर्जुन की तरह वीर बनना चाहिए। भला मैं अर्जुन की तरह कैसे बन सकता हूं?
उनके मार्गदर्शक तो स्वयं भगवान कृष्ण थे। मुझे ऐसी सुविधा कहां?"
उस बालक के दादा ने कहा -
'बेटा, भगवान तो आज भी सबका मार्गदर्शन करने के लिए तैयार हैं। वे हमेशा हर किसी की किसी न किसी रूप में सहायता करने को तत्पर हैं। पर हम उसके लिए ग्रहणशील कहां हैं?"'
यह ग्रहणशीलता क्या होती है?" बालक ने अगला सवाल किया।
तब उसके दादा ने उसे समझाया - 'जब कोई व्यक्ति स्वयं को ईश्वरीय कार्यों के प्रति समर्पित करता है।
अपनी पूरी निष्ठा के साथ संकीर्ण स्वार्थों को त्यागते हुए उनमें जुट पड़ता है तो उसकी बढ़ती निष्ठा के अनुरूप वह आधार बन पड़ता है, जिस पर प्रतिष्ठित हो ईश्वरीय शक्ति क्रीड़ा कर सके।
महानता के प्रति समर्पण तुच्छ को भी महान बना देता है।

★ नगण्य-सा तिनका भी हवा के वेग से मीलों ऊंचा उठ जाता है।
★बूंद अपनी महानता की ललक के आधार पर ही सागर से एक होती और महासागर का गौरव पाती है।

"बालक उनकी बातें ध्यान से सुन रहा था। उसने कहा - 'आपकी बातें तो बहुत अच्छी हैं, किन्तु मुझे मेरी स्थिति के अनुरूप सलाह दीजिए कि क्या करें, कैसे करें?"

तब उसके दादा बोले - 'तुम जागीर के सभी लोगों से घुलो-मिलो, उनके कष्टों को दूर करने का प्रयास करो, उन लोगों को सुरक्षा प्रदान करो। इस तरह वे तुम्हें अपना मानेंगे। ईश्वर की संतानों की सेवा ही ईश्वरीय कार्य है।
तुम्हारी बढ़ती लगन को देखकर भगवान तुम्हें मार्गदर्शन देंगे और तुम अर्जुन की तरह दुष्प्रवृत्तियों का उन्मूलन कर वसत्प्रवृत्तियों का संवर्द्धन कर सकोगे।
यह सुनकर बालक में जोश का संचार हुआ।

अर्जुन बनने की चाह रखने वाले यह बालक थे वीर शिवाजी और उनमें इस तरह महानता के बीज बोने वाली मां थीं जीजाबाई। शिवाजी में महानता के बीजों को अंकुरित-पल्लवित करने के लिए खाद-पानी जुटाने का श्रेय उनके दादा कोणदेव को जाता है।
बड़े-बुजुर्गों पर ही नई पीढ़ी के गठन का दायित्व है, जिसे माता जीजाबाई ने सफलतापूर्वक निबाहा और शिवाजी का मजबूत व्यक्तित्व गठन में सफल हुईं।
                   आपका ही
                  जितेंद्र सिंह तोमर
#आज_के_दिन_से

चम्बल एक सिंह अबलोकन भाग ८

===चम्बल एक सिंह अबलोकन ===
                 भाग -८
    ★बागी पंचम सिंह चौहान ★
९४ वर्ष की उम्र गठीला बदन सर भवे कान के बाल तक पटसन की माफिख हो चुके सफ़ेद बाल ,कभी कटारिदार बड़ी बड़ी गल मुछो से निकली रौबीली भारी आवाज में शांति शंदेश देता हुआ एक पूर्व बीहड़ी खूंखार डकेत ......
जी हा आप सही पढ़ रहे हे विस्मित मत होइए ये वही चम्बल के पूर्व बागी हे जिनपर कभी १५०से ज्यादा हत्या,२००ज्यादा अपहरण और करीब ५०० से डकैतियों के अपराध विभिन्न चौकियों में पंजीबद्ध हुआ करते थे ।और आज ऊँचे मंच से शाधु वेश में शान्ति सद्भावना का भाईचारे का सन्देश हजारो श्रधालुओ को सूना रहे थे ।
क्या ये वही पूर्व दस्यु हो सकते हे जिन्होनो सिर्फ रायफल,बन्दूक की आवाजो से बीहड़ो की वादियो को दहलाया हो ?
तो आइये पढ़ाये एक डाकू से साधू बनने तक की एक रोमांचक कहानी मेरी कलम की जुवानी ।

इस कहानी का प्रारम्भ चम्बल के सोम्य और अतिउत्साही गाँवों से न होकर बल्कि दूर चम्बल से रक्त सम्बन्ध स्थापित किये उत्तरप्रदेश के जनपद मैनपुरी की चौहानी चौबीसी से जुड़ते हे ।
उत्तरप्रदेश में चौहान चौविसि के आम गाँवों की तरह ही एक संमवृद्ध शाली गाँव ......
गाँव में अंग्रेजी शाशन में प्रद्दत साहुकारी की जलबे और समय समय गाँव के किसानो की जमीनों को हथियाने का फ़िल्मी तरीको से प्रचलन । इसी गाँव के पंचम सिंह एक बलिष्ठ युवा जो स्थानीय क्षेत्र में  उच्च विद्यालय न होने के कारण चम्बल की रिश्तेदारी में विद्द्या अर्जन के लिए आते हे ....शनै शनै समय अपने पंख लगा कर उड़ता रहा हे और पंचम सिंह भारतीय सैना में भर्ती हो कर दूर दराज सैन्य प्रशिक्षण के लिए भेज दिए जाते हे ।
लगभग ७वर्षो तक सेना में रहकर विभिन्न क्षेत्रो की तैनाती और कठोर नियमो का पालन जेसे जीवन का अभिन्न अंग बन चूका था ।
एक समय आया और वार्षिक छुट्टियों के साथ गृह आगमन हुआ किन्तु यहाँ परिस्तिथि तनाव पूर्ण देखकर गाँव में ही कुछ दिन बिताने के साथ पटवारी की नोकरी तलाश कर अपने गाँवों में रोजगार तलाश लिया । इसी बीच उनका चम्बल क्षेत्र में आना जाना बना रहता था जिसका एक बहुत बड़ा कारण चम्बल से  कई वर्षो तक जुड़ाव था जो बार बार उनको चम्बल की सैर करवा देता ।
जिंदगी सुखमय जल रही थी किन्तु नियति को कुछ और ही मंजूर था ...
एक दिन प्रभात बैला से पहले गाँव की प्रभात फेरियो के साथ गाँव उन्निदा ,अलसाया अंगड़ाइयां लेता नयन खोल ही रहा था की गाँव के दबंगो की आमद पंचम सिंह के आँगन में हो गयी ।
लगबग ८लोगो का मुस्टंड समूह जबरदस्ती धमका रहा था ।गालियो के साथ धमकी और १२ बीघे खेत न जोतने की धौंस से पुरे परिवार में हड़कम्प मच गया । हल बैल लेकर खेतो पर पहुचे पंचम सिंह को मरणासन्न स्तिथि में खेतो में छोड़ दवंगो ने लौटते समय घर पर भी खबर दी की पंचम को खेत जोतने की सजा मिल चुकी हे उसे उठा कर क्रियाकर्म के लिए ले आओ .........पुरे गाँव में दहशत तो पहले से व्याप्त थी अब रुदन ,करूण कृदन से एक परिवार में हाहाकार मची हुई थी ।
चारपाई पे रखकर पंचम को गाँव के युवा ले आये साँसे चल रही थी सिर ,मुह से टपकता रक्त और हाथ पैर पीठ पर पड़े हुए नील निशान ,जख्म  बहुत जुल्म की दास्तां व्यान कर रहे थे ।
ऊंट गाडी पर रखकर मैनपुरी जिला अस्पताल लाया गया .....उपचार हुआ मलहम लगे और पंचम सिंह का जीवन बच गया ,समय के साथ भौतिक घाव तो भर गए किन्तु मन ,आत्मा पर लगे कहा भरने बाले थे ।स्वम के अपमान और जाती हुई पुश्तैनी विरासत का दर्द ,गाँव बासियो पर  होते जुल्मो ने पंचम सिंह को राजा मानसिंह की बनाई चम्बल रियासत की तरफ ले जाने को प्रेरित कर रही थी ....और कही से जुगाड़ करके एक बन्दूक ले आये .....कहते हे की जब हाथ में भगवती और मस्तिष्क में बदले की बलबति होती हे तब तब इंसान निडर होकर स्वम इन्साफ करता हे ।
और एक दिन जब गाँव पंचम सिंह पर हुए जुल्मो भुला दैनिक कार्यो में व्यस्त था पंचम कारतूस के बिल्डोरिया के साथ जख्म पर रक्त का मलहम लगाने खेतो पर जा पहुचे ।अपने  खेत पर चलते दबंगो ट्रेक्टर और दबंगो हँसी ठट्ठा आँखे रक्तिम कर गया । खेतो में गूंजी पंचम की रौबीली आवाजे चम्बल में गुजने को आतुर थी ।दुश्मन को ललकार कर रायफल से एक के बाद ०८लोगो के रक्त का तिलक पंचम के भाल पर लग गया और चम्बल को एक नया बागी मिला #पंचम_सिंह_चौहान ......
ट्रेक्टर आग लगा बीहड़ी रास्तो के सहारे पंचम सिंह ने एक नया रूप लिया जिनकी आवाज के साथ गोली मारने की दक्षता किस्से आज भी चर्चित हे ।
समय उड़ता रहा पंचम गिन गिन के बदले लेते रहे ....पुश्तैनी मकान सुनसान हो गया परिवारी जन दूर रिश्तेदारियों में समय काटते रहे और इधर चम्बल में पंचम के किस्से चर्चित होते रहे लगबग ९८अपहरण २६हत्याओ के पंजीबद्ध होने के कारण यूपी, मप्र राज की पुलिस के लिए एक नया सिरदर्द चम्बल में आ चूका था ये आजादी के बाद की बात हे। सुनने में आया हे की गैंदा लाल दीक्षित,रामप्रसाद बिस्मिल ,अस्फाख् उला इत्यादि की क्रांतिकारी गतिविधियों में पंचम सिंह का अहम किरदार था ।
मान सिंह राठौर के साथ मिलकर की अंग्रेज पुलिस बालो की परेड करवा कर गोलियों भुनना एक सोक बन चुका था ।
की बुजुर्गो का कहना हे की पंचम सिंह और गेंदालाल दीक्षित मिलकर क्रान्तिकारियो को धन इत्यादि भी देते थे जो रसूखदारों से लूटा जाता था ।
और एक दिन मुखविर की पिन पॉइंट खबर अनुसार पंचम सिंह गिरोह और पुलिस का आमना सामना बकेबर के जंगलो में हो गया दोनों तरफ अंधाधुन्द फायरिंग से बीहड़ काँप उठा किन्तु किस्मत पंचम के साथ थी पीछे आये मान सिंह गिरोह ने पंचम गिरोह को मृत संजीवनी प्रदान की आप खतरे में पुलिस थी दो पाटो के बीच पिसे गेहू की मांनिद अंग्रेज अधिकारी पलायन करने लगे .....इस भीषण मुठभेड़ में पुलिस प्रशाशन की बहुत किरकिरी हुई और परिणाम शून्य कई सिपाहियो की मोत से भन्नाए अंग्रेज अधिकारी w khobh आतंकित हो उठा और आगरा की तरफ भाग निकला .....

राजा भलभद्र सिंह 'चहलारी'

यथोचित प्रणाम।  जो शहीद हुये है उनकी...... 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में,  अंग्रेजों के खिलाफ बहराइच जिले में रेठ नदी के तट पर एक निर...