रविवार, 6 सितंबर 2020

सस्ती शायरी

किसी को सिर रख रोने के लिए एक कंधे की तलाश है,
कोई सेकड़ो कंधों में कांधा बनकर भी कांधे से उदास है!

किसी का सब्र छलकने  नही फुट फुट रोने को कयास है,
नित याद करता अपनो को किसी मेअपनो से खटास है!

अजनबियों का मेला है दिल कोई धंदा तो ग्राहक तलास है,
पल जोड़ स्वयं को लिखता हूं लोगो को स्वार्थ की आस है!

'असफल' जिंदगी के फलसफे इतने सस्ते नही मिलते है,
किसी इश्क में तन तो किसी को इश्क में धन की तलाश है!

तलाशे जिंदगी खत्म नही होगी खत्म ये सारा जन्हा होगा,
घमंड से उठे मष्तक एक दिन तेरा भी बाकी न निशां होगा !!!!

  

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