सोमवार, 12 मार्च 2018

★कुछ अपना सा★

आसमान के हर पंछी में, भाई-चारा है,
ज़मीन पर, हर बात का बटवारा है !

.उसका घर, मेरे घर से है ऊँचा क्यों,
इस बात पर, भाई ने भाई को मारा है !

कोई चढ़ता है, तो उठा लेते हैं सीढ़ी
किसी का चढ़ना, हमें कब ग़वारा है !

ना  पाने कि ख़ुशी है, और ना खोने का ग़म,
कितना खुशनसीब, दुनिया में बंजारा है !

.किस मोड़ पर आयी है, ज़िन्दगी कि कश्ती,
डूब रहे हैं हम, और सामने किनारा है..

वो खुश था कि, जीत गया दिल कि बाज़ी,
बहते आंसुओं ने कहा, कि तू हारा है..

फैला है सर पर, माँ कि छाव का आँचल,
ज़िन्दगी कि धुप में यारा, ये ही सहारा है..
    

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