शनिवार, 19 अगस्त 2023

फिर से गजलें और एक बिखरा स्वप्न 😥

लोगों के अंदर कुछ और, बाहर कुछ और होता है!
दिखता है कुछ और, पर असल कुछ और होता है!

 इनके मासूम चेहरों पर न जाइये साहिबान,
इनके चेहरे पे कुछ और, दिल में कुछ और होता है!

ग़मगीन होकर सुनेंगे तुम्हारे दर्द की दास्तान ये,
मगर सामने कुछ और,पर पीछे कुछ और होता है!

सच तो ये है कि हम सब निभाते हैं यही किरदार, 
अपने लिए कुछ और, गैरों के लिए कुछ और होता है!

उपाहने पांव चलके देखा करता हुँ, नित शमशीर की धारें,
घाव पड़ते हैं -लहू बहता कंही और दर्द कहीं और होता है!

सोया हुआ मेरे हरफों का चश्मो चिराग और कहीं आज,
आह की आभा बिखेरता यहां,उजाला कहीं और होता है..!!!!!

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#अर्से_बाद_गजल_से_मुहब्बत_हुई_है

~JV•सिंह

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