#गहदुये_गीदड़पंथ
किसी समय कुत्ते जंगल मे व गहदुये (सियार,शृगाल,गीदड़)हम मानवो के साथ पालतू हुआ करते थे। वह दुनिया सबसे विकसित जीव मानव के साथ रहकर मस्त रखबाली करते और कभी-कभार एकाध लठ्ठ खाकर भी पडे रहते। कुल मिलाकर गहदुये बड़े मस्त थे ।
वही बेचारे कुत्ते बड़े परेसान थे,प्रोटोकॉल के तहत ग़ांव के आस-पास मंडराते की ठोक-पीटकर,गहदुओ द्वारा चिथकर अपनी दुर्दसा पर खून के आंसू रोते रहते ।
इसी तरह गहदुओ -कुत्तों का जीवन यापन होते-होते एक लंबा अरसा गुजर गया और ग़ांव में खा-खाकर गहदुओ की चर्बी चढ़ गई ।अब वह खेलते हुए बच्चों को डराने लगे,मानवो पर ही गुर्राने लगे ...मानव स्वभाव से युक्तियों का आविष्कारी प्राणी रहा है और उसने युक्ति पूर्ण तरीके से इस समस्या का निदान करने की ठान ली ।
कुत्तों को इन्विटेसन दिया,गहदुये तो पहले से पूंछ में फूल बनाकर डटे हुए थे। कुत्तों की तरफ भी पूंछो में ढिबरी डालकर बड़े-बड़े पंच आये और पंचायत हुई ।
मानवो ने की सुनो गहदुओ तुम्हारी सन्तति ठीक-ठाक से विकास कर चुकी है अब क्यों न इन कुत्तों की भी दशा में सुधार किया जाए और सर्वसम्मति से 6-6 माह का ग्रामनिबास दोनों भाइयों को प्रदान करके विकास का चक्र किया जाए !
गहदुये तो दिमाक चर्बी लिए घूम ही रहे उन्होंने बड़े घमंड से "जाओ ये भी क्या याद करेंगे कि किसी ने आश्रय दान किया था!" बोलकर वन गमन कर लिया ।
6 माह बाद समयावधि पूर्ण हुई और कुत्तों की गर्दनों की चाम बदल गयी उधर गहदुये लेंडी,बेर खाकर भूखे रहकर कुछ बड़े शिकारी जानबरो के शिकार बनकर आधे रह गए। कुत्तों ने मानवो के साथ निष्ठा व मित्रतापूर्ण व्यवहार बनाकर,पहले से इधर अपनी 'जड़ें चूल्हे तक जमा ली थी' ।
परिणाम यह हुआ कि मानवो ने बोला कि जाकर इन गहदुयो की रेल बना दो ,सालो को इतना कूटो की चारो पहर अपनी दुर्दशा पर रोते रहे ।
गहदुये आये 'हुआये' कुत्तों 'भों-भों' करके अपनी चिरपरिचित गाली से उन्हें सुसज्जित करके रेद दिया...तब से गहदुये रात के चारो प्रहर रोते-चिल्लाते आ रहे है और कुत्ते उन्हें गरियाकर चिथेड़कर भगाते आ रहे है...!
कुत्तों को डर बस किसी 'फिआउली' (पागल गहदुये) से लगता है जो प्रोटोकॉल को 'पौये' की झक्क में फक्क करके कुत्तों की रेल बना देता है और मानव तालिया बजाते आ रहा है ।
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बात कहने का तातपर्य है कि पहले की तरह आज भी कुछ कुत्ते-गहदुये-फिआउली बने लोग शोशल मीडिया में भी है। जो सिर्फ रोना-भोंकना-फफ़ियाना सतत करते रहते है और कभी न कभी किसी न किसी के 'पालतू पट्टे' में जरूर मिलेंगे ..अतः मानवो को उनसे समुचित दूरी बनाकर रहना चाहिए ।क्योंकि सबको पता 14 इंजेक्सन दोनों के काटने पर 'उपग्रह' छोड़ सीधे पेटकी टुंडी में भाले की तरह कोचे जाने में डॉक्टर दया नही करता है ।
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JVS.