===चने का झाड़===
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जिंदगी गाहे-बगाहे कभी न कभी 'चने के झाड़ पे चढने-चढाने का कार्य बड़े मनोयोग से करती-करबाती हे,फिर चाहे विवाह से पूर्व ससुरालियों के लिया गया साक्षात्कार हो अथवा सालियों द्वारा जूते चुराई की रश्म में जेब हल्की और मन में उपजे घलघोटु विचार ही क्यों न हो ....!
जिंदगी विवाह से पूर्व बड़ी सुखमय और स्वतन्त्र गुजरती हे किन्तु 90 प्रतिशत पारंपरिक विधि से कुवारों की 'सिंगल सुपर फ़ास्ट' गाड़ी में सिंगल प्लाई से लेकर 42 प्लाई तक के टायर लगा दिए जाते हे।
10 %प्रेम विवाह के विषयो में बन्दा खुद ही जानबूझकर 'झोटे कुंए' में छलांग लगाता हे तो 90 प्रतिशत बालो को इस कुंए में धक्का देने के लिए पूरी बरात साथ होती हे ।
असल 'मुसीबत के समय कोई साथ नहीं देता' बाली कहावत तो तब चरितार्थ होती हे जब सब बिपप्ति(जयमाल फोटो सेशन)के समय पीछे से खड़े होकर अपने सगे बाले दोनों हाथो से रोकते हुए सेे मोनशब्दों कह रहे हो....
"अरे रुको बेटा....खूब उड़ लिए अब तुम्हे बिना ग्रीस-मोबिआइल बाली टायर से हम जोड़ दिए।अब जिंनंगी भर खीचते रहो फिर चाहे तुम्हारे पसीने छूटे या फिर पजामे फूटे रहना तो अब इन्ही के साथ पड़ेगा।"
जिस तरह 'ईद हलाली' से पूर्व बकरे की आवभगत की जाती हे ठीक उसी तरह 'मुह बनाती बाइक'-नो बजकर बीस मिनट' देवी जागरण का उद्घोस करती कार भी मुह चिढ़ाती प्रतीत होती हे।जो मिली तो आपकी 'मालअर्पण' विधान के लिए होती किन्तु सर्वाअधिकार सुरक्षित देवी जी के होते हे।कितने भी कपड़े मारो फ्यूल रिफलिंग कराओ पर देवी जी के आदेश बिना पी...पी से ,पों...पों तक न पाएंगे ।
साले दोस्त भी कम नहीं होते झाड़ पे चढ़ाने में,पहले तो कोई अनुभव साझा नहीं करेंगे और दूल्हे की जेब कतर कर उसी की बोतल से ऐसे बेंड के साथ लहराएंगे जेसे 'खुद का चुकिया फिट होने के बाद पड़ोसी की लाइट जाने पर' खुद को परम् आत्मसन्तुटी से पूर्ण कर लिए हो ...!
असल में विवाह ही ऐसा 'चने का झाड़' हे जिसमे इंसान चढ़ता तो हल्दी पोतकर हे किन्तु उतरते उतरते बच्चों को हल्दी पुतवा ही देता हे ।
दरअसल विवाह एक जरूरी संस्कार हे किन्तु विवाह की गाडी में ससुराल पक्ष्य से भोंपा बजाकर प्राप्त हुआ 'टायर की प्लाई' ससुरालियों को भली भाति पता होती हे किन्तु उन्हें न जाने क्या मजाक सूझता हे की ट्रेक्टर के टायर के साथ नैनो का टायर जोत देते हे और बड़े द्रवित मन से कहेंगे की"हमारी बेटी बड़ी ही रेडियल हे इसमें क्रोध रूपी हवा का कोई उपयोग न किया गया हे।"
किन्तु जब टायर को गृहस्थी रूपी पहिये पर चढ़ाया जाता हे तो मालूम होता हे की 'घिसी हुई गुट्टी' पर ठण्डी रवडिंग करके 'खटारा को बडीहारा' बना दिया गया हे और कुछ समय बाद 'दूल्हा रूपी हब' को रसगुल्ला बताकर 'दहिबड़ा' टिका दिया गया हे जिसे न बदल सकते हे और नाही निगल सकते हे ।
रोज रोज कॉस्मेटिक्स रूपी पंचर और ब्रस्ट को समतल करती टिकरिया खरीदवाते खरीदबाते पता नहीं चलता की कब बालो ने 'कैशक्रान्ति' कर टपकना प्रारम्भ कर दिया और उधर 'रोटी कम मुह ज्यादा बनाते' टायर पर चर्वी रूपी रबडिकरन होना प्रारम्भ हो चुका होता हे।दूल्हे मिया की बात न करो 4 प्लाई टायर को 64 प्लाई देखते देखते उन्हें महसूस नहीं हो पाता की कब 'झड़े पंख बाले मुर्गे' जेसी अवस्था आ गयी होती हे ।
असल ससुराल में सुखद अनुभूति तो विरले लोगो को ही प्राप्त होती हे जो असल में दूल्हे का साडू होते हे।ससुराल मंडप के नीचे जब दूल्हे की नजर छुटकियो पर जाती हे तब एक ही भाव आता हे की काश इस रसगुल्ले को जीवन के डोंगे में रख पाता ...!किन्तु उन्हें फूल फेंक मारती प्रतीत होती छुटकियो की नजर कही और निशाना कही अलग लगता हे।अब हर किसी को इस जीवन में अपना मुड़ खुद ही मुड़ने को थोड़े मिलता हे ।
ससुराल में सबसे ज्यादा लाड करने बाली सासु माँ प्रायः यह सोचकर इतना मातृत्व आप पर लुटाती हे की जरा इस अबोध को कुछ ज्यादा स्नेह कर लू जो हमारे घर की 'बला' को न जाने कैसे-कैसे यत्न करके झेल रहा हे !
ससुर जी जब भी समक्ष बेठे होंगे तो उनकी असीम अनुभवी आँखे मूक होकर बाचाल हो जाती हे और मानो झपकते हुए कह रही हो
"लाडले आपको मुझे दोस न देना चाहिए क्योंकि बबुल के पेड़ से पकोड़े मिलने की मंशा रखना मूर्खो की कल्पना हे,इसमें हमारा कोई खोट नहीं आज से दशको वर्ष पूर्व मुझे मेरे ससुरालियो द्वारा ठीक इसी तरह एक 'नीलम सायकल' का लोभ दिखाकर ठगा गया था।जब खेत ही खरप्तबार से युक्त हो तो आड़ी फसल के लिए किसान जिम्मेबार नहीं होता ।"
"बैटा अब इतने दिनों तक हमने आपकी सासु माँ को झेला तो उसी कम्पनी के विशुद्ध खामिया युक्त प्रोडक्ट को आप भी सप्रेम झेल हमे आनन्दित कीजिये ...!"
आखिर जीवन के अतिउल्लास युक्त 'चने के झाड़ पर चढ़ने' सभी विभूतियो को मेरी आत्मीय सांत्वनाये ......चने के झाड़ो पर चढ़ते रहिये और अपनी किये एक गलती पर ताउम्र सोचते रहिये।अभी यह लिख ही रहा था की पर्दे के पीछे से आबाज आई "अजी सुनते हो गैस सिलिंडर खत्म हो चुका हे,जाइए रिफलिंग सिलेंडर कन्धे पे जाइए पेट्रोल महंगा हो गया तो गाडी मेने अपने भाई को दे दी हे ताकि बो टेंक भरवा लाये!"
आंय....!! साला कल ही तो फूल करा के रखी थी ...!यह सोच मेने माथा पीट लिया ..😊
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जितेन्द्र सिंह तोमर'५२से'
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