#मेरी_छुटकी
अबकी बार तेरी भेजी हुई स्नेहसूत्र कि पाती बिल्कुल समय पर मिली,जैसे सब कुछ संबरने लगा है,मेरे जीवन का हर एक बिखरा पन्ना फिर से जुड़ने लगा है।पर मुझे लगता है कि अब तू बड़ी होने लगी है..न पहले की रूठती है और न अब लड़ती है...बहुत दिन हो गए!अपनी चिरैया की चहचहाट सुने हुये...वह तेरे पैने बोलो की मधुराहट में खुद को मन्त्रमुग्ध हुये देखना जैसे आंगन की चिरैया का चहचहाना पल-पल स्मृतियों में तेरे शने-शने बड़े होने को में हर क्षण महसूस करता हूँ।
पिछली बार की राखी पर वह तुम्हारा बार-बार पूछना इस बार तुम्हारे आत्मविश्वास के आगे कहि छुप गया क्योंकि बिटिया को आश्वस्त दिखी...नीयत समय पर उसका निश्छल प्रेम पहुंच ही जायेगा।
तू कितनी भी बड़ी हो जाये,अपने लक्ष्य प्रशासनिक अधिकारिणी बनने को अतिशीघ्र पूर्ण कर जाए किन्तु तू मेरे लिए सदा वही रहेगी जिसकी नाक बहती है और में मग्न होकर उसे पोंछ कर तुझे दुलार रहा होता होता हूँ।जी करता है की तुझसे जब भी मिलु ,तुझे गुलाबी फ्रॉक में कंधे पे उठाकर नाचता फिरू ..चंहुओर तेरी ख्वाहिशो पर अपने अंक का हिंडोला बनाके झुलाता रहू..!वह समय अपनी गति को स्थिर कर दे और तुम बस मेरे कांधे बैठ मेरे सिर पर अपने नन्हे-नन्हे हाथो से बाल पकड़कर बैठी रहो ।
बहुत दिन हो गए अपनी छुटकी का गुस्से में टेड़ा मुंह बनते हुए देखना,जैसे इस बनाबटी गुस्से में भी असीम स्नेह-बात्सल्य निर्झर होकर झरता है न..यही मेरे इस जीवन की अशेष पूंजी है।
पिछली बार तेरा स्नेहसूत्र थोड़ा बिलम्ब से मिला ,उसे में सहेजकर रखे रहा और इस जीवन के मृत्युलोक आगमन दिवस पर अपने कर में आत्मसात किया क्योंकि सारा जीवन ही उस दिन का ऋणी है जब इस दुनिया मे हम आते है,फिर तेरे प्रति मेरे कर्तव्यों का स्मरण मेरे जन्म दिवस से बेहतर कोई दिन हो ही नही सकता है ।
सच कहें तो मेरे जीवन मे अशेष रिक्तताये थी जो तेरे आने से एकाएक परिपूर्ण हो उठी है,जैसे सुष्क हुए तड़ाग में किसी के आशीष से दुग्ध रत्न से परिपूर्ण हो उठा हो,जीवन की समस्त आशाएं एक साथ आकर मेरा पता मुझसे पूछ रही हों।
मुझे नही पता कि तेरे इस स्नेह ऋण का भार कैसे व्यक्त करू,किन्तु लिखते-लिखते डबडबाई आंखे बहुत कुछ मूक होकर स्वतः शीतल भाव से गदगद कर रही है ।
मेरी चिरैया तू मेरी जिंदगी का वह सौभाग्य है जो सबको नही मिलता है..!
तुम्हारी रक्षा स्नेह सूत्र वचन के साथ तुम्हारे नन्हे-नन्हे श्री चरणों मे मेरा गर्वशीश तुम्हे प्रणाम करता है ।
❣️🙏❣️😘
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तुम्हारा दद्दा
कुँ.जितेंद्र सिंह तौमर '५२से'
चम्बल मुरैना मप्र,तन्वरघार स्टेट '५२से'
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