सहालग की विदाई
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देवोत्थानी एकादशी से प्रारम्भ हुआ कानपकड़ उठाबैठक लगाने बाला विवाहकप कुम्भ देवशयनी एकादशी का फायनल को आया और सपनो की दुनिया का विचित्र संयोग अपने अस्ताचल को हो आया। किन्तु कुछ कुँवारे-कुंवारियों के लिए यह 'सीजन' भी सुखा निकल गया।देवशयनी एकादशी क्या आई जिन्दगी 'जैठालाल' हो गयी और आश करते करते पता न चला की कब बालो में खिझाव लगने लगा....कब विवाह की एक्सपायरी डेट निकल जाए !
पूरी सोमवारी ब्रत की परिधि 2πr होते-होते πrवर्ग होगयी,आशाओ का घनत्व नवरात्रों के क्षेत्रफल में #टेसू बना गया और मीडियम वेव की फ्रीक्वेंसी फिर से सॉर्ट वेव पर FM होकर बेसुरी हो गयी ।
भोझियो की जी हजुरी करते करते देवर का घेवर हो गया पर क्या मजाल की भौजी ने छुटकी केलिए छुटकू की बात चलाई हो....!
इस सहालग में अनगिनत लोगो के भोंपे बज गए किन्तु अनगिनत लोगो की पीपनी भी न बज पायी,बजे भी कैसे बैमानो ने सहालग देवता महादेव और सहालग देवी नवदुर्गा के व्रतो में चाट-भल्ले जो खाये थे ।
कितनी मुहब्बतों के जज्बातों को लोंडो ने अपनी खुन्दक मिटाने के लिए 'अपनी बाली परायी' के विवाह में आँखों के साथ हाथो से खूब पानी परोसा। 'मुहब्बत' भी "अब तुम मुझे भूलने की कोशिस करना" बोलकर किसी और की साँझ तक बाट जोहने के लिए चौपाया गाडी में बेठ कर गाँवबाले 'जिगरी' को 'मामा' बनाने निकल गयी ...!!
वहीँ कुछ लोंडे कॉलेज की मिस को मिस करके नया क्रस आइटम ले आये। मिस अपने छोना बाबू के "थाना थाया" वाक्य को बहुत मिस कर रही हे और 'टिकटोक' पर दिल्फ़टे गानो,फेसबुक पर गालिव चच्ची की तरह अपडेट्स हो रही हे ।
टेंट बालो के डोंगे सुष्क होने के साथ-साथ डीजे बालो के डायस भी सुने हो गए....और तो और 24 घण्टे शोशल मिडिया पर भटकती लोंडो की रूहे अब 42 घण्टे ससुराल से मिली चायना आइटम की रिपेयरिंग में व्यस्त हो गए हे ।
कोई कोई मिस अपने फिस्स हुई मुहब्बत को हलीमुन की फोटो व्हाट्सऐप करके मुहब्बतहत्या को प्रेरित कर रही हे तो कुछ लोंडे अभी से फैलाउलि के चक्कर में परदेस को निकल गए। उन्हें डर हे की दहेज़ में मिली हुई वाशिंग मशीन का पहला शुभारम्भ उन्ही के करकमलो न करा दिया जाए...!
जिन जोड़ो के विवाह से पूर्व मधुरमण्डप के लिए सीने छप्पन हुआ करते थे वह खुद को मोदी के द्वारा हिंन्दुत्व के नाम ठगे हुए महसूस कर रहे हे।मायके बालो के लिए जो बेटिया गाय होती थी वही ससुराल के चार रोज में गोपी बहु से नजर की डायन में अपडेट हो गयी।
जिन लड़कियो को भोंपा से पहले कुल्दुड़ में एक केयरिंग,हेंडसम,डेशिंग और एक बेहतर पार्टनर दीखता था ...उन्हें भी डोसा में मख्खी निकलने का अहसास हो रहा हे....असल में अपनी-हैंडग्रेनेड के सेफ्टी पिन निकालने का अहसास जब जब होता हे तब तब रिंग सेरेमनी को गरियाने की,कोसने की बड़ी जोर से इच्छा होती हे ।
सहालगपर्व की अपार तपस्या में तल्लीन हुए जोड़े जब एक दूसरे को भोर में देखते हे तो सोचते हे की काश !कुछ और प्रतीक्षा कर ली होती तो शायद यह जो काले जामुन को सफेद पेंट करके रसगुल्ला बताकर उनके पल्ले बाँध दिया हे वह शायद रसमलाई के वर्जन में मिल सकता था !
सहालग बाद असली मुर्दायि तो रुठने में पीएचडी सर्टिफिकेट प्राप्त फूफा और जीजो के चेहरे पे देखा जाता हे। जिन्हें शादी बाद कम से कम अपने असितित्व के होने का बोध विवाहो में ही मिलता हे।दूल्हे के सहवाला कम 35 ₹ मासिक टेरिफ पैक साथी और दुल्हन की ब्लॅककेट कमांडो सहेलियों की अजब दुनिया हे। सहवाले वरात् में 35 के टेरिफ से 350 के अनलिमिटेड रिचार्ज की भ्रान्ति में जीते हे और दूल्हे का साथ देने की ओट में काली,पिली,हरी,नीली सुट बालियों में कौन सही सूट करती हे की जुगाड़ में दूल्हे के फेंटा-पनरस को बार ठीक करते हे ।
दुल्हन की शेडो कम कमांडो सहेलियों का अलग नखरा हे,बो चाये एक नजर में किसी सहबाले पर फ़िदा हो गयी लेकिन क्या मजाल की फेरो के बख्त एक फूल बहिन के देवर को फेंककर 'फूल' बनाये....वहा तो इशारो ही इशारो मोबाईल नम्बर फॉरवर्ड कर दिए जाते हे ।
समधियों में परस्पर सामने बाले को लोभी और धनलोलुप शिद्ध करने की जो होड़ होती हे उसका अगर कोई कप होता तो समधनो के गले में टांग दिया जाता।और खुद के प्रोडक्ट को ISO9002 सर्टिफाइड तो समधी के प्रोडक्ट को चायना आइटम की मुहरबन्दी से नवाज देते ।
विवाह पढ़ते पण्डित पुरोहितो को भी जाता हुआ साहलग अखर रहा है ....अब उनको कोण बार-बार दक्षिणा के नाम पर सुलभ धन देगा ...!!कुछ पण्डित जी तो हजारो विवाह पढ़कर भी खुद के विवाह में दूल्हा न बन पाने के मलाल में सुखकर काँटा हुए जा रहे हे। खुद भोंपा न रच पाने के लिए कमाऊ पंडिताई को ही गरिया रहे हे। काश एक पण्डिताइन मिल जाती तो अपनी भी जिन्दगी लीलावती कलावती के नाज नखरों में निकल जाती ..!
समाचार पत्र बाले इकलौते ऐसे दिव्य मनुष्य हे जो सहालग की सप्लीमेंट्री में फ़ैल हुए कुवारों के सीने पर सव्र की सिला यह लिखकर रखते हे की "विवाह के 2 माह बाद विवाहिता प्रेमी संग फुर्र हो गयी!"
कभी-कभी तो पत्नी पूजन करते पतियो की फोटो भी सहालग में सूखे हुए बबूलों को काँटो में आगरा के पेठे लगने का सुखद आनन्द देती हे ।
कल परसो देवशयनी एकादशी आ जायेगी,एक और ग्यारह होते-होते युवक-युवतियों को रिवर्स स्विंग करके आती डिलिवरी कोट &बोल्ड कर जाएगी! और कुछ कुँवारे-कुंवारियों के अरमान भी हरे होते होते सुख जाएंगे। वह फिर शिद्दत से जुट जाएंगे श्रवण माष के सोमवारों में वर और कुवार के नवरात्रो में बधु प्राप्ति के अखण्ड तप में .....किन्तु स्मरण रहे चाट-भल्ले, दशहरा का दिव्य पेय आपकी तपस्या में नोटबन्दी बाद GST न लगा जाये ......और आगामी सहालग कुम्भ फिर से बगैर पर्व लिए न निकल जाए ....!!
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जितेन्द्र सिंह तोमर '५२से'