सोमवार, 27 मई 2019

चम्बल एक सिंह अवलोकन भाग 5 लाखन संशोधित

===चम्बल एक सिंह अवलोकन===
       भाग-५ ब (संसोधित व विस्तृत)
            ★बागी लाखन सिंह★
एक छोटी सी घटना से रघुबीर सिंह और लाखन सिंह का परिवार एक दूसरे के आमने सामने आ गया। चम्बल में अहसास ही नहीं हो पाता की कब चीर का सांप बन जाए और कब भाई से मानस मरी हो जाए...!
एक छोटा सा मानसिक सन्तुलन और समझने में हुई चूक से कितने घरो में चिराग बुझे और कितने चिराग बीहड़ में दौड़े।अगर समय पर आपसी मनभेद भुलाकर चर्चा की जाती तो सम्भवतः रघुवीर सिंह और लाखन सिंह की मित्रता कभी शशत्रुता के गहन अन्धकार में कालकबलित नहीं होती किन्तु नियति और विधि पर किसी का प्रभाव् नहीं पड़ता ।

मानक सिंह उस दुश्मनी की कहानी का चश्मदीद थे। 90 साल की उम्र में भी मानक सिंह को वो पूरी कहानी फिल्म की रील की तरह से याद है क्योंकि मानक सिंह खुद लाखन सिंह का भतीजा है और गैंग में सालों तक दुश्मनों पर पुलिस पर गोलियां चला चुका है। सात हत्याओं के आरोपी मानक सिंह ने लाखन के कहने पर ही पुलिस के सामने समर्पण किया था।
नगरा गांव में दो ठाकुर परिवारों की दुश्मनी की कहानी शुरू हो चुकी थी। लाखन सिंह इलाके के एक गांव में डकैती डालकर चंबल का रास्ता तय कर लिया। इस वारदात में उसके भाई और दूसरे लोग तो गिरफ्तार हुए लेकिन लाखन फरार हो गया।
चंबल में सबसे पहले हर गोविंद और महाराज सिंह के गैंग में कुछ दिन रहे। उसके बाद उसने चरणा डकैत के गैंग में शामिल हुआ। लेकिन उसने वहां से भी जल्दी ही किनारा कर लिया। क्योंकि लाखन सिंह को किसी से आदेश लेना पसंद नहीं था। लाखन सिंह ने अपना गैंग बना लिया और उसमें परिवार के कई लोग शामिल हो गए।
लाखन ने बदला लेना शुरू कर दिया। और डकैती में उसकी मुखबिरी करने के शक में पांच लोगों को एक साथ लाईन में खड़ा कर गोलियों से भून दिया। वारदात से चंबल में लाखन सिंह का नाम सुर्खियों में आ गया। इस मामले में लाखन सिंह का भाई फिरंगी सिंह पकड़ा गया। फिरंगी सिंह हाईकोर्ट में अपील पर बाहर आ गया। लेकिन इस दौरान गांव में रघुबीर सिंह का रूतबा काफी ऊंचा हो गया था और फिरंगी के बाहर आने पर रघुबीर सिंह ने एक बार फिर उसको पुलिस की मदद से अंदर करा दिया और आरोप लगाया धमकी देने और सताने का।  इस बात ने लाखन सिंह के जख्मों को फिर से हरा कर दिया। लाखन सिंह ने अपना बदला लेने का फैसला किया।
दो महीने बाद नगरा गांव के बाहर खेत में हवेली के दो लोगो तिलक सिंह और मथुरी सिंह की लाश  गोलियों से छलनी पड़ी पाई गई। इस घटना ने लाखन सिंह को पुलिस रिकॉर्ड में लाखन द टैरिबल का नाम  दिया। पुलिस अब लाखन सिंह का सफाया करना चाहती थी। हवेली ने भी लाखन के सफाएं में पुलिस की पूरे तौर पर मदद करना शुरू कर दिया। लेकिन लाखन ने इस कत्ल के बाद तो लूट, डकैती और कत्ल की एक पूरी नदी ही बहा दी। हर रोज कही न कही लाखन सिंह गैंग की वारदात की खबर पुलिस फाईलों में दर्ज होने लगी।  और पुलिस के साथ मुठभेड़ से लाखन सिंह नहीं डरता था। उसका हौंसला कितना बढ़ा हुआ था इसी बात से अंदाज लगाया जा सकता है कि 1952-53 के बीच लाखन और पुलिस के बीच 9 एनकाउंटर हुए। इन एनकाउंटर में लाखन के सिर्फ दो लोग ही पुलिस की गोलियों का शिकार बने वही इस दौरान लाखन ने 47 लोगो को अपना निशाना बनाया।
लाखन सिंह का कहर अब हवेली पर बढ़ता जा रहा था। हवेली के हर कोने पर गोलियों के निशान उसके खौंफ की कहानी बता रहे है। रघुवीर सिंह की पुस्तैनी हवेली में समय दर समय लाखन की रायफल से होते सुराख और नगरा में पुलिस का बढ़टी नफरी इस बात का प्रमाण दे रही थी की लाखन अपना बदला लेने के लिए हमेशा ताक में लगा रहता था। इसके अलावा लाखन इलाके में भी वारदात करने में जुटा रहता था। मार्च 1952 में पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में ऊंटों के नाम पर अपनी किस्मत के सहारे बच निकले लाखन का शक एक बार फिर मुखबिरी के लिए रघुबीर सिंह पर ही गया।
गांव में दशहरे मनाया जा रहा था। लेकिन इसी बीच नगरा गांव के खेतों में हवेली वालों में से एक जबर सिंह को लाखन सिंह ने पकड़ लिया। लाखन सिंह ने जबर सिंह को बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया। इसके बाद गांव के बाहर से निकलते हुए ऐलान कर दिया कि वो हर दशहरे पर इस हवेली पर मौत बरसाएंगा।
मध्यप्रदेश पुलिस लाखन की दुश्मनी और कहर दोनों को जान चुकी थी। लिहाजा पुलिस ने लाखन को मारने के लिए एक प्लान बना दिया। प्लान था कि दशहरे पर लाखन फिर हवेली आएंगा और हवेली में रघुबीर का परिवार की सुरक्षा में पुलिस की पूरी बटालियन तैनात मिलेगी। 1954 में दशहरे के दिन लाखन ने फिर हवेली पर हमला किया लेकिन इस बार हवेली से निकली पुलिस की गोलियों ने उसके पैर उखाड़ दिए। लाखन को भागना पड़ा। ये लाखन के लिए एक हार थी। और हार का बदला लेना लाखन को अच्छी तरह से आता था।
दशहरे के दो दिन बाद पुलिस को सूचना मिली कि बीती रात आगरा के पास मानसिंह गैंग से पुलिस के बड़ी मुठभेड़ हुई है। और उस मुठभेड़ में मानसिंह गैंग के साथ लाखन सिंह का गैंग भी था। लिहाजा पुलिस को उम्मीद हुई कि मुठभेड़ से बच निकला गैंग अपने पुराने रास्ते से लौटेंगा। नगरा में थाना बना चुकी पुलिस को आदेश मिला कि वो आगरा वाले रास्ते पर कूच करे। पुलिस ने तेजी के साथ मूवमेंट की। नगरा थाना यानि हवेली से निकली पुलिस को गांव से निकले कुछ ही वक्त हुआ होगा। कि अचानक खेतों से लाखन का गैंग निकल आया।  और हवेली में कत्लेआम मचा दिया। 6 लोगो को मौत के घाट उतार कर लाखन सिंह वहां से निकल लिया।
पुलिस को इससे बड़ी हार शायद ही किसी डाकू के हाथ मिली हो। नगरा से सत्रह किलोमीटर दूर कस्बा पोरसा में मध्यप्रदेश पुलिस के डीआईजी ठहरे हुए थे। खबर पोरसा तक पहुंची तो सदमे में आई पुलिस फौरन नगरा पहुंची। लेकिन तब हवेली के अंदर सिर्फ रोने चीखने की चीत्कारें और हवेली के बाहर गोलियों के निशान बचे थे। लाखन अपना बदला लेकर निकल चुका था। लेकिन दुश्मनी कम नहीं थी। कहते है कि हवेली के लोगो की चिताओं के जलने से पहले ही रघुबीर सिंह के लोगो ने भी दूसरी तरफ लाशें बिछा दी।
अब इस दुश्मनी की कहानी चंबल के बीहड़ की हर डांग या भरकों में गूंज रही थी। पुलिस के मत्थे एक नाकामी का दाग बढ़ता जा रहा था। पुलिस चाहती थी कि किसी भी तरह इस दाग को साफ करने की कोशिश की जाएं..........
कृमशः
सलंग्न चित्र लाखन सिंह के भाई फिरंगी सिंह जी (जीवित अवस्था में )

                  जितेन्द्र सिंह तोमर '५२से'

राजा भलभद्र सिंह 'चहलारी'

यथोचित प्रणाम।  जो शहीद हुये है उनकी...... 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में,  अंग्रेजों के खिलाफ बहराइच जिले में रेठ नदी के तट पर एक निर...